Ghulam Nabi Azad Resignation: कांग्रेस के सीनियर नेता गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफे के बाद कांग्रेस समेत कई पार्टियों के नेताओं के बयान सामने आ रहे हैं. इस बीच कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा है कि हम इस पार्टी में किराएदार नहीं है बल्कि हिस्सेदार हैं. हमें किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है.


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'हमें किसी सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं'


कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, 'हमें किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है. मैंने इस पार्टी को 42 साल दिए हैं. मैं यह पहले भी कह चुका हूं, हम इस संस्था (कांग्रेस) के किरायेदार नहीं हैं, हिस्सेदार हैं. अब अगर आप हमें धक्कामार कर बाहर निकालने की कोशिश करेंगे तो यह दूसरी बात है, और यह देखा जाएगा.



'पार्टी में किसी को कुछ खैरात में नहीं मिला'


उन्होंने कहा, 'दो साल पहले हम 23 लोगों ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को पत्र लिखकर बताया था कि कांग्रेस की परिस्थिति चिंताजनक है जिसपर विचार करने की जरूरत है. कांग्रेस की बगिया को बहुत लोगों, परिवारों ने अपने खून से संजोया है. अगर किसी को कुछ मिला वो खैरात में नहीं मिला है.'


'कांग्रेस को आत्मनिरीक्षण की जरूरत'


मनीष तिवारी ने आगे कहा कि ऐसा लगता है कि 1885 से मौजूद भारत और कांग्रेस के बीच समन्वय में दरार आ गई है. आत्मनिरीक्षण की जरूरत थी. मुझे लगता है कि 20 दिसंबर 2020 को सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में सहमति बन गई होती तो यह स्थिति नहीं आती.


'किसी के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए'


गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे पर बात करते हुए कांग्रेस सांसद ने कहा, आजाद के त्याग पत्र की अच्छाई-बुराई में नहीं जाना चाहता. उन्होंने अपने तरीके से समझाने की पूरी कोशिश की. कांग्रेस नेताओं के चपरासी जब पार्टी के बारे में ज्ञान देते हैं तो यह हंसी का पात्र होता है. उन्होंने आगे कहा कि उत्तर भारत के लोग जो हिमालय की चोटी की ओर रहते हैं, यह जज्बाती, खुददार लोग होते हैं. पिछले 1000 साल से इनकी तासीर आक्रमणकारियों के खिलाफ लड़ने की रही है. किसी को इन लोगों के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए.


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