नई दिल्ली: देश में हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस (Children's Day) के रूप में मनाया जाता है. लेकिन आज कोरोना महामारी के कारण बच्चों का जीवन बहुत बुरी तरह प्रभावित हो रहा है. कोरोना महामारी ने सभी के जीवन को किसी न किसी रूप में प्रभावित किया है. लेकिन इसका सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ा है. 


दिल्ली में बच्चों पर किया गया सर्वे


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पूरी दुनिया में कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन से बच्चों का घर से निकलना बिल्कुल बंद हो गया. इस महामारी ने बच्चो कों शारीरिक रूप से बहुत प्रभावित किया है. इसी बात को लेकर सर गंगा राम अस्पताल ने बच्चों के स्वास्थ्य को लेकर एक सर्वे जारी किया है जिसके नतीजे चौंकाने वाले हैं. सर्वे में शामिल 60% बच्चों का लगभग 10% वजन बढ़ गया है. ये सर्वे 1 अक्टूबर 2021 से 31 अक्टूबर 2021 तक हाल ही में कोविड संकट के दौरान घर पर बैठने के लिए मजबूर 1309 बच्चों पर किया गया है.


यह भी पढ़ें: अमरावती में जारी बवाल पर गृह मंत्रालय का बयान, त्रिपुरा में नहीं टूटी कोई मस्जिद


लॉकडाउन ने इतना बदल दिया बच्चों का जीवन


सर गंगाराम अस्पताल के Institute of Minimal Access, Metabolic & Bariatric Surgery के चेयरमैन डॉ सुधीर कल्हन का कहना है कि इस सर्वे के नतीजे चौंकाने वाले हैं. सर्वे में शामिल 36.8% लोगों ने वजन बढ़ने के मुख्य कारण के रूप में आसीन जीवन शैली (Sedentary Lifestyle) यानी कि एक ही जगह बैठे रहने को बताया. जबकि 27.55% लोगों ने देर से सोने को मुख्य कारण बताया और 22.4% लोगों ने ज्यादा खाने को वजन बढ़ने का कारण बताया. आपको बता दें कि कोरोना महामारी और ब्लैक फंगस जैसी बीमारियों ने लोगों में अलग-अलग तरह को रोगों को जन्म दिया है जैसे डायबिटीज, सांस लेने में दिक्कत जैसी परेशानियों का बढ़ना.


बच्चों को किया गया नजरअंदाज


डॉ सुधीर का मानना है कि इस महामारी में बच्चों की देखभाल को नजरंदाज किया गया है. कोरोना के कारण बच्चे न तो स्कूल जा सकते थे, न ही घर पर कोई शारीरिक गतिविधि कर पा रहे थे. साथ ही उनके आस-पास मौतें और स्लीप साइकल बिगड़ने जैसी परेशानियां भी थीं. इसका सीधा प्रभाव शारीरिक, व्यवहारिक और जीवन शैली संबंधियों पर पड़ रहा है. इस समस्या पर तुरंत ध्यान देने और उस पर काम करने की जरूरत है.


यह भी पढ़ें: गढ़चिरौली में लाल आतंक पर सबसे बड़ा प्रहार! C-60 कमांडोज ने मार गिराए 26 नक्सली


भारत में बढ़ रहा बीमारियों का खतरा


गौरतलब है कि भारत एक युवा देश है जिसकी 60% से ज्यादा जनसंख्या 35 वर्ष से कम आयु की है. भारत के युवा भारत की ताकत हैं. लगभग 8% GDP की वृद्धि के साथ हम एक देश के रूप में बहुत बेहतर काम कर रहे हैं. लेकिन क्या होगा अगर भारत की ये युवा आबादी डायबिटीज, मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी या हाई ब्लड प्रेशर से ग्रस्त हो जाए. इसीलिए भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए बच्चों के स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता है.


LIVE TV