कोरोना वैक्सीन बन तो जाएगी लेकिन लगेगी कैसे? यहां जानिए जवाब
देश-दुनिया में कोरोना से निपटने के लिए कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) को बनाने की कोशिश भी जारी है. लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी लोगों के सामने है कि इस वैक्सीन को मरीजों को कैसे लगाया जाएगा.
नई दिल्ली: देश-दुनिया में कोरोना से निपटने के लिए कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) को बनाने की कोशिश भी जारी है. लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी लोगों के सामने है कि इस वैक्सीन को मरीजों को कैसे दिया जाएगा. अब भारत (India) में इस सवाल का जवाब तलाश लिया गया है.
संक्रमितों को नाक में डालकर दी जाएगी वैक्सीन
भारत में कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटी भारत बायोटेक ने वैक्सीन को लेकर वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन से एग्रीमेंट किया है.कोरोना वैक्सीन बनाने में जुटे दोनों देशों ने इस सवाल का भी जवाब ढूंढ लिया है कि मरीजों को यह दवा कैसे दी जाएगी. रिसर्च के मुताबिक कोरोना वैक्सीन किसी इंजेक्शन की तरह मरीजों को नहीं दी जाएगी और न ही ये वैक्सीन किसी ड्राप की तरह होगी, जिसे पिया जा सके. इस वैक्सीन की सबसे बड़ी खासियत यही कि वैक्सीन को नाक के जरिये मरीज को दिया जाएगा.
अमेरिका, जापान और यूरोप में वितरण के लिए हासिल किए अधिकार
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कोरोफ्लू (CoroFlu) नाम की वैक्सीन विकसित कर रहा है. कोरोना वायरस के इलाज के लिए बनाई जा रही इस वैक्सीन की एक बूंद को पीड़ित इंसान की नाक में डाला जाएगा. भारत बायोटेक ने इस वैक्सीन को अमेरिका, जापान और यूरोप में बांटने के लिए सभी जरूरी अधिकार प्राप्त कर लिए है. इस वैक्सीन का फेज-1 ट्रायल अमेरिका के सेंट लुईस यूनिवर्सिटी के वैक्सीन एंड ट्रीटमेंट इवैल्यूएशन यूनिट में होगा. यदि भारत बायोटेक को जरूरी अनुमति और अधिकार मिलते हैं तो वह इसका ट्रायल हैदराबाद के जीनोम वैली में भी करेगी.
वैक्सीन की 100 करोड़ डोज बनेंगी
भारत बायोटेक के चेयरमैन डॉ. कृष्णा एला ने बताया कि वैक्सीन की 100 करोड़ डोज बनाई जाएगी. इस वैक्सीन की वजह से सुई, सीरींज का कोई खर्च नहीं आएगा, जिससे वैक्सीन की कीमत कम रहेगी. चूहों पर किए गए अध्ययन में इस वैक्सीन ने बेहतरीन परिणाम दिखाए हैं. इसकी रिपोर्ट प्रसिद्ध साइंस जर्नल सेल और नेचर मैगजीन में भी छपी है.
नाक से डाली जाने वाली वैक्सीन बेहतर होती है: विशेषज्ञ
वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर और बायोलॉजिक थेराप्यूटिक्स सेंटर के निदेशक डॉ. डेविड टी क्यूरिएल ने कहा है कि नाक से डाली जाने वाली वैक्सीन आम टीकों से बेहतर होती है. यह वायरस पर उस जगह से ही हमला करने लगती है, जहां से वह प्राथमिक तौर पर ही नुकसान पहुंचाना शुरू करता है. इससे शुरुआत में ही वायरस को रोकने का काम शुरू हो जाता है.
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