कोरोना संक्रमण में क्यों अहम है 5वें से 10वां दिन? इस बात का ध्यान रखेंगे तो नहीं होगी परेशानी
विशेषज्ञों के अनुसार, पहले चरण में मरीज को संक्रमण के लक्षण या तो पता ही नहीं चलते या फिर बहुत हल्के होते हैं.
नई दिल्लीः कोरोना संक्रमण से देश में हालात काफी भयावह हैं. बड़ी संख्या में लोग संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं और रोजाना हजारों की तादाद में लोगों की मौत हो रही है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि कोरोना संक्रमण में पांचवा और 10वां दिन बेहद अहम होता है. इसी के आधार पर पता चल सकता है कि मरीज के शरीर में संक्रमण कितना खतरनाक होगा.
दूसरे चरण में आते हैं बीमारी के लक्षण
विशेषज्ञों के अनुसार, पहले चरण में मरीज को संक्रमण के लक्षण या तो पता ही नहीं चलते या फिर बहुत हल्के होते हैं. इस दौरान वायरल शरीर में पहुंचकर अपनी संख्या बढ़ाता है. 5 से 7 दिन के बाद संक्रमण गंभीर होता है और मरीज को बुखार व अन्य समस्याएं होती हैं. संक्रमण होने के 7 से 10 दिन के समय में या तो मरीज रिकवरी करने लगता है या फिर उसकी हालत बिगड़ जाती है.
डॉक्टरों का कहना है कि इस समय के दौरान मरीज को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ती है. दरअसल इस समय में हमारी बॉडी वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाती है. कई बार यही एंटीबॉडी शरीर में इतनी बन जाती हैं कि वो हमें ही नुकसान पहुंचाना शुरू कर देती हैं. इसी लिए कोरोना संक्रमण में 5 से 10 दिन का समय बेहद अहम होता है. 10 दिन तक अगर हमारा शरीर संक्रमण को संभाल लेता है तो फिर हम रिकवरी मोड में चले जाते हैं और कुछ दिन बाद ही हम रिकवर भी हो जाते हैं. आमतौर पर 14 दिन के बाद मरीज ठीक हो जाता है. इसलिए पहले दिन का पहचानना जरूरी है, जब से हमें लक्षण दिखने शुरू हुए थे.
इन लोगों को ज्यादा खतरा
जो लोग डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हार्ट प्रॉब्लम, किडनी की समस्या, बढ़ती उम्र और मोटापे जैसी समस्याओं से प्रभावित हैं तो ऐसे लोगों में कोरोना संक्रमण का खतरा ज्यादा है. अगर कोरोना संक्रमित मरीज संक्रमण के 7 से 10 दिन के समय में रिकवरी मोड में नहीं जा रहा है और उसे तेज बुखार, छाती में दर्द या जकड़न, सांस फूलना, मानसिक समस्या जैसे धुंधला दिखना या फिर बेवजह की बातें करने की दिक्कत हो रही है तो इसका मतलब ये है कि मरीज में ऑक्सीजन का स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है. ऐसे में मरीज को तुरंत डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है.
(डिस्कलेमर- यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विशेषज्ञों द्वारा बताई गई बातों पर आधारित है. कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर के परामर्श के आधार पर ही कोई काम करें.)