नई दिल्ली: भारत में कोरोना की दूसरी लहर (Corona Second Wave India) का प्रकोप थमा है. कई दिनों से कोरोना संक्रमण के नए मरीजों (New Coronavirus Cases) की संख्या में कमी आ रही है. दूसरी लहर के कोहराम के बीच जब देश में चार लाख कोरोना केस मिल रहे थे वहीं कोरोना पीड़ित मरीजों की मौत का मीटर फुल स्पीड में भाग रहा था तब कोरोना की तीसरी लहर का नाम सुनते ही लोगों के मन में दहशत बैठ जाती थी. इसकी एक वजह ये भी थी कि तीसरी लहर में छोटे बच्चों के लिए सबसे ज्यादा खतरा बताया गया था. 


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हांलाकि इस बीच डॉक्टरों और वैज्ञानिकों के हवाले से कुछ अच्छी और पॉजिटिव न्यूज़ भी सामने आ रही हैं जो लोगों का तनाव दूर करने में मददगार साबित हो रही हैं. वहीं कुछ खबरों के हवाले यानी बाकी दुनिया में सामने आ चुके घटनाक्रमों से सीख लेते हुए भारत में तीसरी लहर (Coronavirus Third Wave India) के प्रकोप को कम जरूर किया जा सकता है.


नए शोध में भारत के लिए खतरे के संकेत?


ऐसे में भारतीय मूल के वैज्ञानिक और डॉक्टर अविरल वत्स का कहना है कि यूके (UK) में कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडराने लगा है. वहां नए कोरोना केस तेजी से बढ़ रहे हैं. वहीं ये भी कहा जा रहा है कि ये बढ़ोतरी पहली बार भारत में खोजे गए B.1.617.2 वैरिएंट की वजह से हो रही है. जानकारों का मानना है कि नया वैरिएंट यूके में तीसरी लहर का खतरा पैदा कर सकता है.


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एक डराने वाली बात ये भी है कि अच्छे वैक्सीन कवरेज (Corona Vaccination Speedy Drive) के बाद भी ये वैरिएंट तेजी से फैल रहा है. वहीं भारत की आबादी 1 अरब से कहीं ज्यादा है और अभी तक 20 करोड़ लोगों तक ही कोरोना वैक्सीन लग पाई है ऐसे में भारत के लिए ये आंकड़े क्या चिंता का संकेत दे रहे हैं.




क्या कहते हैं यूके के आंकड़े?


इंग्लैंड यानी यूके में अब तक 3.8 करोड़ लोगों को वैक्सीन की पहली डोज लग चुकी है, जो कुल आबादी का 58% है. वहीं करीब, 2.5 करोड़ लोगों को दोनों डोज लग चुकी हैं. फिर भी नए मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. यूके की रिसर्च में ये साफ है कि कुछ वैक्सीनों की सिंगल डोज कोरोना के इस वेरिएंट  B.1.617.2 का संक्रमण रोकने में नाकाफी है. ऐसे में सवाल खड़ा होता है कि क्या वाकई कुछ वैक्सीन कोरोना को रोकने में नाकाफी है. वहीं पर दूसरे नजरिए से सोंचे तो दुनिया में जिन देशों में कोरोना वैक्सीनेशन बेहतर हुआ है और हालात काबू में होने के बाद लगातार लॉकडाउन की सख्ती में ढील दी जा रही है तो क्या पिछली लहरों की तुलना में कारगर वैक्सीनेशन इस लहर को अलग बना सकता है?


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वैक्सीनेशन पर अलग-अलग राय!


स्कॉटलैंड के एनएचएस अस्पताल के डॉक्टर अविरल वत्स का कहना है कि लॉकडाउन खुलने की वजह से केस बढ़ने की आशंका पहले से ही थी. यूके में जून में आखिरी फेज का अनलॉक होना बाकी है.ये चिंताजनक है. डॉ. वत्स के मुताबिक, 'वैक्सीन की वजह से इस बार बुजुर्गों में संक्रमण दर और नए केस कम आ रहे हैं, क्योंकि ज्यादातर बुजुर्गों को दोनों डोज लग चुकी है. ये सही है कि अस्पतालों में भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी है, लेकिन ये अब भी पिछली लहर की तुलना में काफी कम है. वहीं यूके के जिन इलाकों में संक्रमण बढ़ रहा है, वहां अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों और कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या 60 से 70% की कमी आई है.'


क्या कहते हैं एक्सपर्ट? 


दरअसल कुछ साइंटिस्ट का मानना है कि वैक्सीन और वायरस के बीच हमेशा होड़ यानी रस चलती रहती है. ऐसे में सावधानी बरतने के साथ किसी भी वायरस से सुरक्षित रहा जा सकता है. भारत के हालात अलग हैं यहां पर अभी तक जो लोग अस्पताल में भर्ती हो रहे हैं, उनमें से तीन चौथाई को तो वैक्सीन नहीं लगी है. वहीं भारत में जारी अध्यन और शोध बताते हैं अगर आप वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके हैं तो इस वैरिएंट (B.1.617.2) से आपको 80% तक सुरक्षा मिलती है. 


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टीकाकरण की सुस्त रफ्तार चिंता का सबब


भारत में एक्सपर्ट चिंता जता चुके हैं कि तीसरी लहर में संक्रमण बच्चों और युवाओं को ज्यादा संक्रमित कर सकता है. भारत के लिए चिंता की बात वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार है. आज यानी शनिवार को आए सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, अब तक करीब 21 करोड़ लोगों को वैक्सीन लग चुकी है लेकिन सिर्फ 4 करोड़ लोग ही ऐसे हैं जिन्हें वैक्सीन के दोनों डोज लग चुके हैं. यानी, इस अनुपात से अभी तक देश की 3.1% आबादी ही पूरी तरह वैक्सीनेट हो पाई है.


वहीं अभी तक किसी शोध में ये साफ नहीं हुआ है कि तीसरी लहर में वायरस सिर्फ बच्चों को भी अपना निशाना बनाएगा, ऐसे में कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए वैक्सीन लगवाने और हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है, पैनिक होने की नहीं.


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