नई दिल्ली: भारत मे 16 जनवरी से चल रही दुनिया की सबसे बड़ी कोरोना वैक्सीनेशन ड्राइव (Corona Vaccination Drive) जोर शोर से जारी है. देश में अब तक 1 करोड़ 17 लाख से ज्यादा लोग वैक्सीन की कम से कम एक डोज लगवा चुके हैं. वैक्सीनेशन अभियान सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड (Covishield ) और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxine) के जरिए से चल रहा है. इस महाअभियान के बीच वैक्सीन की पहली डोज के 14 दिन में असरदार साबित होने की बात सामने आई है.


टीकाकरण अभियान के लिए शुभ संकेत


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दिल्ली के मैक्स अस्पताल और सीएसआईआर (CSIR) के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) की स्टडी में सामने आया है कि वैक्सीन की पहली डोज लगवाने के 14 वें दिन ही वैक्सीन लगवाने वालों लोगों के शरीर में कोरोना वायरस (Coronavirus) के खिलाफ एंटीबॉडीज बननी शुरू हो गई थीं. इन सभी लोगों को सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड वैक्सीन लगाई थी.


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बुनियादी सवालों के जवाब मिलने में होगी आसानी


इस स्टडी में एक और बात सामने आयी कि जिन लोगों के शरीर मे कोरोना के खिलाफ वैक्सीन लगवाने से पहले एन्टीबॉडीज थी उनके शरीर मे वैक्सीन लगवाने के बाद एंटीबॉडीज की संख्या और ज्यादा हो गयी थी. मैक्स के डायरेक्टर संदीप बुद्धिराजा ने बताया कि इस स्टडी में मिले डेटा से वैज्ञानिकों को वैक्सीन की डोज की टाइमिंग पर बुनियादी सवालों के कई जवाब मिलेंगे. 


मैक्स अस्पताल और सीएसआईआर (CSIR) के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (IGIB) की स्टडी में 135 लोगों को शामिल किया था. जिसमे से 44 लोगों के शरीर मे वैक्सीन लगवाने से पहले ही कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडीज मौजूद थी.


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कोविशील्ड वैक्सीन की पहली डोज के बाद वैज्ञानिकों ने पाया कि जिन लोगों के अंदर वैक्सीन लगवाने से पहले एंटीबॉडीज मौजूद थी उनके अंदर वैक्सीन लगवाने के 7 दिनों के बाद ही बहुत तेजी से और एंटीबॉडीज डेवलप होने लगीं. वहीं जिनके अंदर वैक्सीन लगवाने से पहले एंटीबॉडीज नहीं थी उनके शरीर में पहली डोज लगने के 14 वें दिन से एंटीबॉडीज बनना शुरू हो गईं.


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