RSS प्रमुख मोहन भागवत बोले- अखंड भारत का सपना बल से नहीं धर्म से होगा संभव
एक पुस्तक के विमोचन के दौरान बोलते हुए RSS प्रमुख Mohan Bhagwat ने कहा कि भारत से अलग हुए पाकिस्तान जैसे देश आज संकट में हैं. स्वयं को अब भारत का हिस्सा नहीं कहने वाले, इससे अलग हुए इलाकों के लिए ‘भारत’ के साथ फिर से जुड़ना अधिक जरूरी है.
हैदराबाद: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने अखंड भारत की आवश्यकता पर जोर देते हुए गुरुवार को कहा कि भारत से अलग हुए पाकिस्तान (Pakistan) जैसे देश अब संकट में हैं. अखंड भारत (United India) ताकत नहीं, बल्कि हिंदू धर्म के जरिए संभव है.
एक पुस्तक के विमोचन के मौके पर भागवत ने कहा, 'दुनिया के कल्याण के लिए गौरवशाली अखंड भारत की आवश्यकता है. इसलिए देशभक्ति को जगाए जाने की जरूरत है. छोटे किए गए भारत को फिर से एकजुट किए जाने की आवश्यकता है. भारत से अलग हुए सभी हिस्सों, जो स्वयं को अब भारत का हिस्सा नहीं बताते है, उन्हें इसकी अधिक आवश्यकता है.'
'यह बंटवारा मूर्खों का सपना'
भागवत ने आगे कहा, 'कुछ लोगों ने देश के विभाजन से पहले इस बात को लेकर गंभीर संदेह जताया था कि इसे बांटा भी जा सकता है या नहीं, लेकिन ऐसा हो गया. यदि आप इस देश के बंटवारे से 6 महीने पहले किसी से पूछते, तो कोई भी इसका अंदाजा नहीं लगा सकता था. लोगों ने पंडित जवाहरलाल नेहरू से पूछा था कि पाकिस्तान बनाने संबंधी नई बात सामने आ रही है. इसके जवाब में उन्होंने कहा था कि यह क्या है? यह बंटवारा मूर्खों का सपना है.'
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अखंड भारत की संभावना से इनकार नहीं
RSS प्रमुख ने बताया कि ब्रितानी शासन काल में लॉर्ड वावेल ने भी ब्रिटेन की संसद में कहा था कि भारत को भगवान ने बनाया है. इसे कौन विभाजित कर सकता है. लेकिन आखिरकार ऐसा हुआ. जो असंभव प्रतीत होता था, वह हुआ. इसलिए अभी असंभव लगने वाले अखंड भारत की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि इसकी आवश्यकता है.
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'दबाने' की नहीं 'जोड़ने' की बात
स्वयं को अब भारत का हिस्सा नहीं कहने वाले, इससे अलग हुए इलाकों के लिए ‘भारत’ के साथ फिर से जुड़ना अधिक जरूरी है. इन देशों ने वह सब कुछ किया, जो वह कर सकते थे, लेकिन उन्हें कोई समाधान नहीं मिला. इसका एक मात्र समाधान भारत के साथ फिर से जुड़ना है. और इससे उनकी सभी समस्याएं सुलझ जाएंगी. हम उन्हें दबाने नहीं, उन्हें जोड़ने की बात कर रहे हैं. भागवत बताते हैं कि जब हम अखंड भारत की बात करते हैं, तो हमारा इरादा ताकत के बल पर यह हासिल करना नहीं है, बल्कि सनातन धर्म के जरिए उन्हें जोड़ना है. सनातन धर्म मानवता और पूरी दुनिया का धर्म है और इसे आज हिंदू धर्म कहा जाता है.
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फिर से खुशहाली और शांति हासिल होगी
उन्होंने कहा, ‘गंधार अफगानिस्तान बन गया. क्या वहां तब से शांति है? पाकिस्तान का गठन हुआ, क्या वहां उस समय से शांति है? भागवत ने कहा कि भारत में कई चुनौतियों से निपटने की क्षमता है और दुनिया मुश्किलों से पार पाने के लिए उसकी ओर देखती है. वसुधैव कुटुम्बकम् के जरिए दुनिया फिर से खुशहाली और शांति हासिल कर सकती है.
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