Covaxin-Sputnik लगवाने वाले छात्रों को फिर से कराना होगा टीकाकरण, US ने जारी किये नियम
भारत बायोटेक की कोवैक्सीन और रूस की स्पुतनिक-V लगवाने वाले छात्रों को अमेरिका जाकर फिर से वैक्सीनेशन कराना होगा. इस संबंध में अमेरिकी कॉलेज और यूनिवर्सिटी ने नियम जारी कर दिए हैं.
वॉशिंगटन: पढ़ाई करने के लिए अमेरिका (US) जा रहे स्टूडेंट्स को लेकर एक नई खबर आई है. अमेरिका के 400 से ज्यादा कॉलेज और यूनिवर्सिटीज ने छात्रों के टीकाकरण को लेकर नियम जारी किए हैं. इसके तहत छात्रों का डब्ल्यूएचओ द्वारा अप्रूव किए गए वैक्सीन के डोज लेना अनिवार्य किया गया है. इस नियम के कारण भारत और रूस के छात्रों के लिए नई समस्या पैदा हो गई है क्योंकि भारत में विकसित किए गए कोवैक्सीन (Covaxin)और रूस द्वारा विकसित किए गए स्पुतनिक-वी (Sputnik-V) को WHO ने अप्रूव नहीं किया है.
दोबारा कराना होगा वैक्सीनेशन
न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, ऐसे में जिन छात्रों ने कोवैक्सीन या स्पुतनिक-वी के डोज लिए हैं, उन्हें अमेरिका जाने के बाद फिर से वैक्सीनेशन कराना होगा. रिपोर्ट में अमृतसर की छात्रा मिलोनी दोषी के हवाले से बताया गया है कि उन्हें न्यूयॉर्क में कोलंबिया यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला है. कोवैक्सीन डोज लेने के कारण उन्हें कैंपस में पहुंचने के बाद फिर से उन वैक्सीन में से किसी एक के डोज लेने के लिए कहा गया है, जिन्हें डब्ल्यूएचओ ने अप्रूव किया है.
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क्या सुरक्षित होगा 2 बार वैक्सीनेशन कराना
हालांकि एक बार पूरा टीकाकरण कराने के बाद क्या दोबारा टीकाकरण कराना सही होगा या नहीं. जबकि इसे लेकर अब किसी विशेषज्ञ ने यह नहीं बताया है कि ऐसा करना सुरक्षित होगा या नहीं. मिलोनी कहती हैं, 'मैं दो अलग-अलग वैक्सीन लेने को लेकर चिंतित हूं.' जाहिर है ये चिंता केवल मिलोनी की नहीं, बल्कि उन सैकड़ों-हजारों भारतीय छात्रों (Indian Students) की है, जो पढ़ने के लिए अमेरिका जाने वाले हैं.
8 वैक्सीन को मिला है अप्रूवल
डब्ल्यूएचओ ने अब तक 8 वैक्सीन के इमरजेंसी यूज के लिए मंजूरी दी है. इनमें 3 वैक्सीन अमेरिका के हैं. ये वैक्सीन फाइजर-बायोएनटेक, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन के हैं. इसके अलावा कोविशील्ड और चीन के साइनोवैक को भी मंजूरी मिल चुकी है. अमेरिका में पढ़ने के लिए जाने वाले सबसे ज्यादा विदेशी छात्र चीन के हैं और दूसरे नंबर पर भारत है. चूंकि चीन के साइनोवैक को तो मंजूरी मिल चुकी है इसलिए अब सबसे ज्यादा परेशानी भारतीय छात्रों को ही होगी.