नई दिल्ली: रूस और यूक्रेन के बीच जंग (Russia Ukraine War) में दोनों ओर से एक-दूसरे पर साइबर अटैक (Cyber ​​Attack) किए जा रहे हैं. जिससे उनके प्रशासनिक और अर्थ तंत्र पर जबरदस्त चोट लग रही है. तो क्या साइबर आर्मी अब मिलिट्री की तीनों विंग से ज्यादा खतरनाक हो गई है. 


डिजिटल टारगेट हो जाता है ध्वस्त


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सीनियर IPS और साइबर सिक्योरिटी मामले के एक्सपर्ट बृजेश सिंह ने इस बारे में बड़ी बात कही. उन्होंने कहा कि साइबर हमलों (Cyber Attacks) के जरिए हाई वेल्यू डिजिटल टारगेट्स तक पहुंच बनाई जाती है. इनके जरिए बैक डोर अटैक, किल स्विच और दुश्मन के प्लान को आसानी से ध्वस्त किया जा सकता है. ऐसे साइबर हमले जंग के मैदान में जाने वाली सेना को युद्ध में पहले ही बढ़त दिला देते हैं और उन्हें फायदे वाली स्थिति प्रदान करते हैं. 


बहुत कम समय में शुरू किए जा सकते हैं ऑपरेशन


उन्होंने कहा कि साइबर हमलों (Cyber ​​Attack) की बड़ी खूबी उनका अचूक निशाना होता है. साइबर अटैक का ऑपरेशन शुरू करने के लिए बेहद कम समय की जरूरत होती है. ऐसे हमले सैन्य और गैर-सैन्य बुनियादी ढांचे की हैकिंग में मददगार साबित होते हैं और गुप्त जानकारी एकत्र करने की क्षमता प्रदान करते हैं. एक बार सफल होने के बाद साइबर हमले बहुत सटीक परिणाम उत्पन्न करते हैं. 


कई तरह के कामों में किए जाते हैं इस्तेमाल


बृजेश सिंह कहते हैं कि कई बार साइबर हमलों (Cyber ​​Attack) के जरिए मौजूदा शासन को अस्थिर करने और मित्रवत राजनेताओं या सामाजिक हस्तियों को बढ़ावा देने का भी प्रयास किया जाता है. वहीं कई बार साइबर अटैक का इस्तेमाल जातीय, सांप्रदायिक, राजनीतिक और धार्मिक आधार पर स्थानीय आबादी को विभाजित करने के लिए भी किया जाता है. कई बार सरकार को बदनाम करने के लिए इस तरह के साइबर हमले किए जाते हैं. 



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कम लागत में दुश्मन को पहुंचता है भारी नुकसान


उन्होंने कहा कि मौजूदा वक्त में युद्ध के तरीके बदल गए हैं. दुनिया के ज्यादातर देश हथियारों से लड़ने के बजाय पहले साइबर युद्ध (Cyber ​​Attack) के जरिए अपने दुश्मन को बर्बाद कर देना चाहते हैं. इस तरह के युद्ध में अपना कोई भी नुकसान नहीं होता और दुश्मन देश की सीमा में घुसे बिना उसकी रीढ़ तोड़ दी जाती है. इस तरह के साइबर वॉर में बहुत कम प्रयास और लागत लगती है जबकि दुश्मन का नुकसान इससे कहीं ज्यादा और बड़ा होता है. 


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