सावधान! मौसम विभाग का रेड अलर्ट, भारत के इस हिस्से में मंडरा रहा चक्रवाती तूफान का खतरा
IMD News: यह चक्रवाती तूफान अगले दो दिनों तक भारतीय तट से दूर उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर लगभग पश्चिम-उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ता रहेगा. यह सुबह साढ़े 11 बजे भुज गुजरात से 190 किमी दूर पश्चिम-उत्तर पश्चिम में फिर उसी क्षेत्र पर केंद्रित हो गया.
Cyclone Asana: गुजरात में लगातार बारिश का दौर जारी है. इसी कड़ी में उधर से एक बड़ा खतरा सामने आ रहा है. कच्छ के अपतटीय और पास के पाकिस्तानी इलाके में चक्रवात ‘असना’ का संकट आने वाला है. साल 1976 के बाद से अरब सागर में अगस्त महीने में आया यह पहला चक्रवाती तूफान है. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने यह जानकारी दी है. इसका चक्रवात का नाम ‘असना’ पाकिस्तान ने दिया है.
भुज गुजरात से 190 किमी दूर
असल में आईएमडी के अनुसार, कच्छ तट और पाकिस्तान तथा पूर्वोत्तर अरब सागर के आसपास के क्षेत्रों के ऊपर बना ‘गहन अवदाब’ पिछले छह घंटों के दौरान छह किमी प्रति घंटे की गति से पश्चिम की ओर बढ़ गया जो चक्रवाती तूफान ‘असना’ (जिसे अस-ना कहा जाता है) में बदल गया. यह चक्रवाती तूफान सुबह साढ़े 11 बजे भुज (गुजरात) से 190 किमी दूर पश्चिम-उत्तर पश्चिम में फिर उसी क्षेत्र पर केंद्रित हो गया. यह अगले दो दिनों तक भारतीय तट से दूर उत्तर-पूर्व अरब सागर के ऊपर लगभग पश्चिम-उत्तर पश्चिम की ओर बढ़ता रहेगा.
गहन अवदाब की स्थिति
गहन अवदाब एक कम दबाव की स्थिति है जिसमें हवा की गति 52 किमी प्रति घंटे से 61 किमी प्रति घंटे तक होती है, जबकि चक्रवात में हवा की गति 63 किमी प्रति घंटे और 87 किमी प्रति घंटे के बीच होती है. यानी गहन अवदाब की स्थिति चक्रवात उत्पन्न होने से पहले की स्थिति है. किसी कम दबाव प्रणाली के चक्रवात में बदलने के लिए समुद्र की सतह का तापमान 27 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक होना आवश्यक है. फिलहाल बंगाल की खाड़ी में समुद्र की सतह का तापमान 28-30 डिग्री सेल्सियस है. अरब सागर में यह लगभग 27-28 डिग्री सेल्सियस है.
मालूम हो कि वर्ष 1891 और 2023 के बीच अगस्त के दौरान अरब सागर में केवल तीन चक्रवाती तूफान आए (1976, 1964 और 1944 में) हैं. वर्ष 1976 का चक्रवात ओडिशा से उत्पन्न हुआ जो पश्चिम-उत्तर-पश्चिम की ओर बढ़ा और अरब सागर में प्रवेश कर गया. हालांकि ओमान तट के पास उत्तर-पश्चिम अरब सागर में यह कमजोर हो गया. वर्ष 1944 के चक्रवात ने अरब सागर में उत्पन्न होने के बाद प्रचंड रूप ले लिया. वर्ष 1964 में एक और अल्पकालिक चक्रवात दक्षिण गुजरात तट के पास विकसित हुआ और तट के पास ही कमजोर हो गया.