दारुल उलूम ने छात्रों के बाहर जाकर पढ़ने पर लगाई पाबंदी, कहा- इससे खराब होती है व्यवस्था
यह पाबंदी सिर्फ उन छात्रों के लिए है जो दारुल उलूम देवबंद में दाखिला तो आलिम और फाजिल के कोर्स के लिए लेते हैं लेकिन यहां न पढ़कर वे अंग्रेजी या दूसरी पढ़ाई पढ़ने के लिए शहर के किसी कोचिंग सेंटर में जाते हैं. अंग्रेजी पढ़ने से किसी को मना नहीं किया जा रहा है.
देश में इस्लामी तालीम देने वाली 'दारुल उलूम देवबंद' संस्था के नए फैसले की वजह से विवाद शुरू हो गया है. देवबंद ने अपने फैसले में अपने यहां पढ़ रहे छात्रों के बाहर जाकर किसी अन्य सिलेबस को पढ़ने पर पाबंदी लगा दी है. संस्था का कहना है कि बाहर जाने से संस्थान की अपनी तालीमी व्यवस्था खराब होती है. संस्थान ने यह पाबंदी इसलिए लगाई है क्योंकि छात्रों द्वारा दूसरे कोर्स को पढ़ने के लिए बाहर जाने से संस्थान की तालीमी व्यवस्था प्रभावित होती है.
दारुल उलूम देवबंद के शिक्षा विभाग द्वारा जारी आदेश के मुताबिक, 'छात्रों को सूचित किया जाता है कि दारुल उलूम देवबंद में शिक्षा ग्रहण करते हुए दूसरी किसी तालीम (अंग्रेजी वगैरह) की इजाजत नहीं होगी. अगर कोई छात्र इस काम में लिप्त पाया गया या किसी और जगह से उसके बारे में इससे जुड़ी कोई जानकारी मिली तो उसे सस्पेंड कर दिया जाएगा.'
आदेश के मुताबिक, 'पढ़ाई के दौरान में कोई भी छात्र क्लास को छोड़कर किसी और कमरे में बिलकुल न ठहरे. दारुल उलूम प्रशासन किसी भी वक्त किसी भी कमरे का मुआयना कर सकता है. अगर कोई छात्र इस काम में लिप्त पाया गया तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. अगर कोई छात्र क्लास में अटेंडेंस लगवाकर पीरियड के खत्म होने से पहले चला गया या घंटे के आखिर में अटेंडेंस लगवाने के लिए आता दिखा तो उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी.'
फैसले को लेकर पैदा हुए विवाद पर दारुल उलूम देवबंद ने सफाई दी है. संस्थान के मोहतमिम (मुख्य कर्ताधर्ता) मौलाना अब्दुल कासिम नोमानी ने न्यूज एजेंसी 'पीटीआई' को बताया, 'कुछ मीडिया रिपोर्ट में बताया जा रहा है कि दारुल उलूम देवबंद में अंग्रेजी पढ़ने पर पाबंदी लगा दी गई है जबकि ऐसा नहीं है. दारुल उलूम में बाकायदा अंग्रेजी का एक अलग विभाग है और बच्चों को इसकी तालीम दी जा रही है.'
उन्होंने कहा, 'यह पाबंदी सिर्फ उन छात्रों के लिए है जो दारुल उलूम देवबंद में दाखिला तो आलिम और फाजिल के कोर्स के लिए लेते हैं लेकिन यहां न पढ़कर वे अंग्रेजी या दूसरी पढ़ाई पढ़ने के लिए शहर के किसी कोचिंग सेंटर में जाते हैं. अंग्रेजी पढ़ने से किसी को मना नहीं किया जा रहा है. दारुल उलूम में छात्रों के लिए पूरे 24 घंटे का अलग-अलग शिक्षण और प्रशिक्षण कार्य निर्धारित हैं. ऐसे में छात्रों के बाहर चले जाने से इस संस्थान में उनकी शिक्षा प्रभावित होती है.'
नोमानी ने बताया, ‘यह पाबंदी सिर्फ इन्हीं छात्रों के लिए नहीं है बल्कि कई ऐसे छात्र हैं जो मदरसे में दाखिला लेने के बावजूद बाहर अपना कारोबार करते हैं. चाय का ठेला लगाते हैं. उन सभी के ऐसा करने पर पाबंदी लगाई गई है. उसी तरह इन छात्रों पर भी पाबंदी लगाई गई है कि अगर उन्होंने किसी कोर्स में दाखिला लिया है तो उस पर पूरा मन लगाकर पढ़ाई की जाए.’
(इनपुट- भाषा)