Bomb Blast in Delhi: वक्त में ज्यादा नहीं थोड़ा पीछे चलते हैं. साल था 2008 और तारीख थी 13 सितंबर. दिवाली की तैयारियां चल रही थीं. ये वो वक्त था, जब लोग शॉपिंग के लिए दिल्ली के बाजारों में घूम रहे थे. लेकिन उनको क्या मालूम था कि मौत उनका इंतजार कर रही है. आज भी वो खौफनाक मंजर याद करके लोग रो पड़ते हैं.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कनॉट प्लेस को भी बनाया था निशाना


किसी ने अपने पिता को खोया तो किसी का पूरा परिवार ही आतंकवाद ने लील लिया. इस सीरियल बम ब्लास्ट ने सिर्फ दिल्ली ही नहीं बल्कि पूरे भारत को झकझोर कर रख दिया था. 30 मिनट के भीतर राजधानी दिल्ली में चार अलग-अलग जगह बम धमाके हुए थे. इतना ही नहीं, आतंकियों ने दिल्ली के दिल कहे जाने वाले कनॉट प्लेस को भी निशाना बनाया था. इसके बाद गफ्फार मार्केट और ग्रेटर कैलाश-1 में भी धमाके हुए. इस हादसे में 20 लोगों की जान चली गई थी और 90 से ज्यादा घायल हुए थे. इस बम धमाके से लोगों की साल 2005 में हुए सीरियल बम ब्लास्ट की खौफनाक यादें ताजा हो गईं.


इन ब्लास्ट के बाद पूरी दिल्ली में खौफ पसर गया था. किसी को मालूम नहीं था कि ये उनके परिवार के साथ दिवाली तक नहीं मना पाएंगे. लोग रोज की तरह अपने घरों को लौट रहे थे. पूरे शहर में त्योहार की रौनक थी. लोग खरीदारी करने भी निकले थे. लेकिन तभी अचानक एक के बाद एक हुए ब्लास्ट से चारों तरफ चीख-पुकार और भगदड़ मच गई.


पुलिस को मिला था धमकी भरा ई-मेल


दरअसल, बम ब्लास्ट से पहले दिल्ली पुलिस को एक धमकी भरा ई-मेल मिला था. इसमें दिल्ली को 5 मिनट के भीतर उड़ाने का दावा किया गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह ई-मेल दिल्ली पुलिस को आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिद्दीन ने भेजा था. इस मेल में लिखा था- रोक सको तो रोक लो.


इससे पहले कि दिल्ली पुलिस इस ई-मेल पर कोई एक्शन ले पाती, राजधानी बम धमाकों से दहलने लगी. चारों तरफ चीख-पुकार और भगदड़ मच गई. चार जगह बम धमाके हुए और इसके लिए भीड़भाड़ वाले बाजारों को चुना गया था. 


कई जगहों पर बम किए गए थे डिफ्यूज


वो दिन शनिवार का था. आतंकियों ने ये बम धमाके बाराखंभा रोड, कनॉट प्लेस के सेंट्रल पार्क, गफ्फार मार्केट और ग्रेटर कैलाश-1 में किए गए. पुलिस ने एक्शन लेते हुए कई जगहों जैसे रीगल सिनेमा और सेंट्रल पार्क और इंडिया गेट पर बमों को डिफ्यूज भी किया था. 


जिन इलाकों को आतंकियों ने चुना था, उससे साफ था कि वह ज्यादा से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुलाना चाहते थे. इसके बाद पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया और मामले में 13 लोगों को अरेस्ट किया गया था. लोगों में खौफ इतना ज्यादा पसर गया था कि वे बाहर निकलने में डरने लगे थे. 


परिवार के लोग आज भी उस मनहूस दिन को याद करके रोने लगते हैं. वे आज भी उस दर्द को नहीं भूले हैं, जो आतंक ने उनको दिया था. गौरतलब है कि 22 दिसंबर 2000 को दिल्ली के लाल किले पर बम हमला, 13 दिसंबर 2001 को संसद पर अटैक और अक्टूबर में तीन बम धमाकों ने सबको हिलाकर रख दिया था.