Air Pollution: दिवाली के बाद दिल्ली में कम प्रदूषण सिर्फ ट्रेलर, पूरी पिक्चर अभी बाकी है; ये बोले एक्सपर्ट्स
Delhi AQI: एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि नवंबर में वायु प्रदूषण (Air Pollution) के स्तर में तेजी आ सकती है. जिससे सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित लोगों की परेशानी बढ़ सकती हैं.
Air Pollution In Delhi: दिवाली (Diwali) के बाद इस बार दिल्ली (Delhi) में पिछले सालों की तुलना में वायु प्रदूषण (Air Pollution) कम है. हालांकि, इसमें खुश होने वाली बात नहीं है. एक्सपर्ट्स ने चेतावनी है कि दिल्ली में प्रदूषण का खतरा अभी टला नहीं है. एक्सपर्ट्स के मुताबिक, नवंबर का महीना अभी बाकी है. अगले महीने नवंबर में प्रदूषण का स्तर बेहद खराब हो सकता है. दिवाली इस बार अक्टूबर में ही यानी जल्दी हो गई है. इसीलिए ये अनुमान पहले से ही था कि इस बार दिवाली के बाद प्रदूषण पहले की तुलना कम होगा. लेकिन नवंबर में प्रदूषण की परेशानी और बढ़ सकती है. नवंबर में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आ सकती है और साथ ही तापमान कम होगा.
दिल्ली में प्रदूषण के कारक
बता दें कि हर साल दिवाली के एक दिन बाद दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. यह कई मौसम संबंधी कारकों, पड़ोसी राज्यों में पराली जलाने और पटाखे जलाने के कारण उत्सर्जन में बढ़ोतरी के परिणामस्वरूप होता है. दिल्ली में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के 33 मॉनिटरों के डेटा के एनसीएपी ट्रैकर द्वारा किए गए एनालिसिस से पता चला है कि इस साल दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 2021 की तुलना में कम था, लेकिन यह 60 यूजी/एम3 की डेली सेफ लिमिट से ऊपर बना रहा.
कम जलाए गए पटाखे
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय के मुताबिक, दिल्ली में दिवाली के मौकै पर पटाखे जलाने की घटनाओं में पिछले सालों की तुलना में लगभग 30 फीसदी की कमी आई. दिल्ली में दिवाली के अगले दिन एक्यूआई 5 साल बाद सबसे ठीक रहा. एंटी-स्मॉग गन दिल्ली के उन इलाकों में पानी का छिड़काव करेंगी जहां वायु प्रदूषण ज्यादा है.
प्रदूषण के कारण बीमार हुए कम लोग
हालांकि, थोड़ी राहत की खबर ये है कि दिवाली के बाद इस बार दिल्ली में पिछले साल की तुलना में वायु प्रदूषण कम होने के कारण यहां के अस्पतालों में सांस संबंधी बीमारी से पीड़ित कम मरीज पहुंचे. दिवाली पर जलने के मामले भी इस बार दिल्ली में कम सामने आए हैं. लेकिन, एक्सपर्ट्स ने कहा है कि अभी किसी नतीजे पर पहुंचना जल्दबाजी होगी. नवंबर में प्रदूषण और बढ़ सकता है, तब सांस संबंधी मरीजों की दिक्कत बढ़ सकती है. उनकी हालत खराब हो सकती है.
(न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस के इनपुट के साथ)
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