दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी के बाद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम (AIMIM) ने भी टिकट देने शुरू कर दिए हैं. ओवैसी की पार्टी ने दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन को चुनावी मैदान में उतारा है और दिल्ली की मुस्तफाबाद विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया है. ओवैसी के इस फैसले पर बीजेपी ने निशाना साधा है और भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने कहा है कि ऐसे जिहादी को चुनाव मैदान में उतारकर दिल्ली के हिंदुओं को चुनौती देने की कोशिश की जा रही हैं.


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हिंदुओं को मारने के लिए बम, पत्थर, गुलेल...


बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने असदुद्दीन ओवैसी पर निशाना साधा है. उन्होंने एक्स पर लिखा, 'जिस ताहिर हुसैन ने दिल्ली में सैकड़ो हिंदुओं की हत्या की साजिश रची थी. जिसके घर से हिंदुओं को मारने के लिए बम, पत्थर, गुलेल रखे थे. जिसने IB ऑफिसर अंकित शर्मा की हत्या 400 बार चाकुओं से गोद कर शव नाले में फेंक दिया था. ऐसे जिहादी को चुनाव मैदान में उतारकर दिल्ली के हिंदुओं को चुनौती देने की कोशिश की जा रही हैं. अगर दिल्ली में दुबारा दंगे करवाने की कोशिश की गई तो अंजाम तुम्हारी सात पीढ़ियां याद रखेंगी.'



जेल में बंद ताहिर ने जॉइन की एआईएमआईएम


जेल में बंद ताहिर हुसैन एआईएमआईएम में शामिल हो गए हैं. इसकी जानकारी खुद असदुद्दीन ओवैसी ने एक्स पर दी. एक फोटो शेयर करते हुए ओवैसी ने लिखा, 'एमसीडी पार्षद ताहिर हुसैन AIMIM में शामिल हो गए हैं और आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद विधानसभा क्षेत्र से हमारे उम्मीदवार होंगे. उनके परिवार के सदस्य और समर्थक आज मुझसे मिले और पार्टी में शामिल हुए.'



दिल्ली हिंसा के आरोपी हैं ताहिर हुसैन


ताहिर हुसैन दिल्ली के नेहरू विहार से आम आदमी पार्टी (AAP) से पार्षद रहे है. लेकिन, साल 2020 में दिल्ली दंगे में नाम सामने आने पर आम आदमी पार्टी ने ताहिर को पार्टी से निकाल दिया था. बता दें कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद फरवरी 2020 में दिल्ली में दंगे हुए थे. इस दंगे में कई लोग मारे गए थे, जबकि कई लोग घायल हुए थे. दंगे में पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन के शामिल होने के आरोप लगे थे और ताहिर के घर से पेट्रोल बम फेंकते हुए युवकों के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुए थे.


दिल्ली की एक कोर्ट ने इस साल मई में 2020 के दिल्ली दंगों के एक मामले में पार्षद ताहिर हुसैन को जमानत दे दी थी और कहा था कि उनकी भूमिका 'दूरस्थ प्रकृति की' थी और वह पहले ही तीन साल से अधिक समय हिरासत में बिता चुके हैं. हालांकि, जमानत मिलने के बाद भी ताहिर हुसैन जेल में बंद हैं, क्योंकि वह दंगों के अन्य मामलों में भी आरोपी हैं, जिसमें सांप्रदायिक दंगे के पीछे साजिश और वित्तपोषण से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग का मामला शामिल है.