नई दिल्ली: दिल्ली की सड़कों पर चल रहे करीब 1 करोड़ वाहनों में से एक तिहाई जल्द ही कबाड़ हो जाएगा. दरअसल दिल्ली में वायु प्रदूषण के गिरते स्तर को देखते हुए अरविंद केजरीवाल की सरकार ने गाड़ियों को लेकर एक नया मसौदा तैयार किया है, जिसमें 15 साल से ज्यादा पुराने सभी गाड़ियों को कबाड़ियों के पास भेज दिया जाएगा और वहां उन्हें पूरी तरह से नष्ट किया जाएगा. दिल्ली सरकार के इस नए मसौदे का मकसद शहर को 'वाहन जीवन समाप्ति' नीति (इंड ऑफ व्हीकल लाइफ पॉलिसी) से युक्त पहला भारतीय शहर बनाना है.         


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37 लाख वाहनों पर असर: आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली की सड़कों पर करीब 1 करोड़ गाड़ियां हैं, जिनमें से 37 लाख वाहन ऐसे हैं जो 15 साल से ज्यादा पुराने हैं. उम्मीद जताई जा रही है कि 2018 के आखिरी तक नए नियमों को लेकर अधिसूचना जारी कर दी जाएगी. राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 2014 में एक आदेश जारी किया था, जिसमें कहा गया था कि 15 साल से ज्यादा पुराने वाहनों को दिल्ली की सड़कों पर चलने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए और उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर खड़ा नहीं करना चाहिए. एनजीटी के उसी आदेश को दिल्ली सरकार अमलीजामा पहनाने की तैयारी कर रही है. 


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मसौदे में क्या है: 1. दिल्ली स्क्रैप ऑफ व्हीकल्स रूल्स, 2018’ के तहत वाहन जब्त किए जाएंगे, 2. सभी वाहन सीधे कबाड़ व्यापारियों के पास भेजे जाएंगे, जहां वाहनों को तोड़ा जाएगा, 3. कार मालिकों को कबाड़ की कीमत का भुगतान किया जाएगा, 4. जिनके पास 1000 वर्ग गज का कबाड़खाना होगा, उन्हें ही इसका लाइसेंस दिया जाएगा. 


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वहीं दूसरी ओर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के लिए ऐसे डीजल वाहनों के पंजीकरण की इजाजत दी है, जो ‘बीएस - 4’ उत्सर्जन मानकों के अनुरूप हों. एनजीटी के कार्यवाहक अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूडी साल्वी के नेतृत्व वाली एक पीठ ने अर्जी देने वाले को यह राहत दी. दरअसल, इससे पहले अधिकरण को भरोसा दिलाया गया कि इसके पास 10 साल से अधिक पुराने वाहन नहीं हैं. अधिकरण ने अर्जी देने वाले को आरटीओ के समक्ष इस बारे में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया कि उनके पास 10 साल से अधिक पुराना कोई डीजल वाहन नहीं है.


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एनजीटी ने अर्जी देने वाले को अपने पास मौजूद अन्य वाहनों का ब्यौरा भी देने का निर्देश दिया. साथ ही यह स्पष्ट कर दिया कि इन वाहनों का इस्तेमाल सिर्फ मरीजों और मेडिकल कर्मियों को लाने - ले जाने में ही किया जाएगा. इसने कहा कि वाहनों की चौड़ाई या ऊंचाई नहीं बढ़नी चाहिए और यह तय सीमा के अंदर होना चाहिए. सभी वाहनों पर जीपीएस लगाए जाएं. ‘लॉग बुक’ का रखरखाव किया जाए. गौरतलब है कि दिल्ली स्थित एम्स ने हरित अधिकरण का रुख कर अपने नये वाहनों के पंजीकरण की इजाजत मांगी थी.


(इनपुट एजेंसी से भी)