नई दिल्लीः 1984 सिख विरोधी दंगों के मामले में बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट निचली अदालत से दोषी यशपाल सिंह की याचिका पर सुनवाई करेगा. यशपाल सिंह को 20 नवंबर को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने मौत की सजा सुनाई थी. इससे पहले 11 दिसंबर को हाईकोर्ट ने यशपाल सिंह की याचिका पर दिल्ली पुलिस से 12 दिसंबर तक जवाब मांगा था. यशपाल सिंह ने सिख विरोधी दंगा मामले में उसे सुनाई गई मौत की सजा को चुनौती दी है. 11 दिसंबर को ही न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति संगीता धींगरा सहगल की पीठ ने दोषी की मौत की सजा की पुष्टि करने के लिये पेश मामले में भी सिंह को नोटिस जारी किया था.


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पीठ ने सिंह को पेशी के लिए वारंट जारी किया. पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि 19 दिसम्बर तय की थी. निचली अदालत ने सिंह को 14 नवम्बर को दोषी ठहराया था. इस फैसले के बाद से वह तिहाड़ जेल में बंद है. अदालत ने उसे 20 नवम्बर को मौत की सजा सुनाई गई थी.


20 नवंबर को पटियाला हाउस कोर्ट के बाहर यशपाल सिंह को मिली फांसी की सजा के बाद खुशी जाहिर करते सिख समुदाय के लोग (फोटोः आईएएनएस)

निचली अदालत ने 1984 दंगों के दौरान नई दिल्ली में दो लोगों की हत्या के मामले में सह-अपराधी नरेश सहरावत को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी.


साल 2015 में गठित एसआईटी द्वारा दोबारा खोले गए मामलों में किसी को दोषी ठहराये जाने का यह पहला मामला था. हालांकि दिल्ली पुलिस ने साक्ष्यों के अभाव में 1994 में यह मामला बंद कर दिया था, लेकिन दंगों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने मामले को दोबारा खोला. दोषियों के वकीलों ने एसआईटी की इस मांग का विरोध करते हुये उन्हें आजीवन कारावास की सजा देने की मांग की थी. इस प्रकार के अपराध के लिए उम्रकैद की सजा सबसे कम होती है.


अदालत की कार्यवाही के दौरान एसआईटी की तरफ से पेश हुए सरकारी वकील सुरिंदर मोहित सिंह ने कहा था कि यह लगभग 25 वर्ष के दो निर्दोष लोगों की ‘‘नृशंस’’ हत्या है. यह पूरी तरह योजनाबद्ध ढंग से किया गया क्योंकि दोषी अपने साथ मिट्टी का तेल और हॉकी वगैरह लेकर आये थे. उन्होंने कहा कि दिल्ली में यह एकमात्र मामला नहीं था और करीब 3000 लोगों को मार डाला गया. सिंह ने कहा कि यह नरसंहार था. इन घटनाओं का अंतरराष्ट्रीय प्रभाव पड़ा और न्याय पाने में 34 वर्षों का समय लग गया. समाज को ऐसा संकेत जाना चाहिये ताकि वह ऐसे डरावने अपराधों से दूर रहे. यह दुर्लभ से दुर्लभतम मामला है जिसमें मौत की सजा दी जानी चाहिये.’ 


उनकी इस मांग का दोषियों के वकील ओ.पी.शर्मा का विरोध करते हुये कहा था कि ये हमला सोचा समझा या योजनाबद्ध नहीं था, ये अचानक से भड़का था. पीड़ितों की तरफ से आये वकील एच.एस.फुल्का ने कहा था, ‘‘ प्रधानमंत्री(इंदिरा गांधी) की हत्या की प्रत्येक सिख ने निंदा की. यह बहुत दुखद रहा. लेकिन इसका आशय यह नहीं है कि सिखों को मार डाला जाए. क्या इससे लोगों को मारने का लाइसेंस मिल जाता है. अदालत की कार्यवाही के बाद जब दोषियों को पाटियाला हाउस अदालत परिसर से हवालात ले जाया जा रहा था तभी बीजेपी विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा ने यशपाल सिंह को थप्पड़ मार दिया था.


यह मामला हरदेव सिंह के भाई संतोख सिंह की शिकायत पर दर्ज किया गया था. अदालत ने उन्हें भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) , 307 (हत्या का प्रयास), 395 (डकैती) और 324 (घातक हथियार से चोट पहुंचाना) सहित अन्य अनेक धाराओं के तहत दोषी ठहराया था.


(इनपुट भाषा से भी)