नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने आज (सोमवार) रेप पीड़ितों के लिए विवादित टू-फिंगर टेस्ट वाला सर्कुलर वापस ले लिया है। सूत्रों ने बताया कि दिल्ली सरकार अपने उस विवादित आदेश को वापस ले लिया जिसमें बलात्कार पीड़ित के टू फिंगर टेस्ट की इजाज़त देने की बात कही गई थी। दिल्ली सरकार का कहना है कि एक अधिकारी की गलती की वजह से ये आदेश जारी हुआ था इसके लिए उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


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दिल्ली सरकार ने दुष्कर्म पीड़िता की जांच के लिए 'टू फिंगर' टेस्ट को उचित ठहराते हुए सरकारी अस्पतालों को एक एडवाइजरी जारी की थी। 14 पेज की इस एडवाइजरी में कहा गया था कि रेप की जांच के लिए पीड़िता की मर्जी के बाद 'टू फिंगर' टेस्ट किया जा सकता है।


सुप्रीम कोर्ट ने भी वर्ष 2013 में कहा था कि टू-फिंगर टेस्ट पीड़िता को उतनी ही पीड़ा पहुंचाता है, जितना उसके साथ हुआ रेप। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि इससे पीड़िता का अपमान होता है और यह उसके अधिकारों का हनन भी है। इस तरह का टेस्ट मानसिक पीड़ा देता है, सरकार को इस तरह के टेस्ट को खत्म कर कोई दूसरा तरीका अपनाना चाहिए।


टू- फिंगर टेस्ट में डॉक्टर महिला के प्राइवेट पार्ट के भीतर दो उंगलियां डालते हैं और ये जानने की कोशिश की जाती है कि प्राइवेट पार्ट में अंदर की ओर कोई जख्म है या नहीं। इससे यह पता लगाने की  कोशिश की जाती है कि 'हाइमेन' (योनिमुख की झिल्ली) फटा है अथवा नहीं, या वह महिला सेक्स की आदी तो नहीं?  इसके बाद सैंपल लेकर स्लाइड बनाई जाती है। जिसे टेस्ट के लिए लैब में भेजा जाता है।