दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को उस 20 वर्षीय बलात्कार पीड़िता को आठ सप्ताह का गर्भ गिराने की इजाजत दे दी, जिसने आरोप लगाया था कि यौन उत्पीड़न के बाद वह गर्भवती बनी. न्यायमूर्ति विभु बाखरू ने कहा कि अगर चिकित्सक इस निष्कर्ष पर पहुंचता है कि गर्भ की वजह से महिला को मानसिक प्रताड़ना और दूसरी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा तो कानून के तहत 12 सप्ताह से कम के गर्भ को गिराया जा सकता है. अदालत ने कहा कि इस मामले में तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए इसकी कोई वजह नजर नहीं आती कि कोई चिकित्सक गर्भपात करने के उसके आग्रह को स्वीकार नहीं करेगा.


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उसने युवती को अनुमति दे दी कि वह गर्भपात के लिए अपनी इच्छा के अनुसार लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज का रुख करे. अदालत ने यह भी आदेश दिया कि अस्पताल जाते समय उसके साथ महिला पुलिसकर्मी होनी चाहिए क्योंकि पीड़िता का संबंध आर्थिक रूप से कमजोर तबके से है.


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उसने डीएनए की जांच के मकसद से भ्रूण के उत्तक के नमूने संरक्षित किए जाने से जुड़ी गुहार भी स्वीकार कर ली. अदालत ने अस्पताल को निर्देश दिया कि वह उत्तक के नमूनों को संरक्षित करे और अवशेष को जांच अधिकारी के सुपुर्द करे. युवती का आरोप है कि इस साल 21 फरवरी से 29 के अगस्त के बीच उसके साथ कई बार बलात्कार किया गया.
इनपुट: भाषा