नई दिल्ली: लाभ के पद मामले में विधानसभा की सदस्यता के अयोग्य ठहराए गए आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों ने सोमवार (22 जनवरी) को दिल्ली उच्च न्यायालय से अपनी वह अर्जी वापस ले ली जिसमें उन्होंने चुनाव आयोग की ओर से उन्हें अयोग्य घोषित करने की सिफारिश को चुनौती दी थी. राष्ट्रपति आयोग की सिफारिश मंजूर कर चुके हैं. इन विधायकों ने न्यायालय को बताया कि उन्हें अयोग्य करार देने वाली अधिसूचना पर विचार-विमर्श करने के बाद वे न्यायालय में नई अर्जी दाखिल करेंगे. उन्होंने कहा कि आयोग की ओर से राष्ट्रपति को भेजी गई सिफारिश के खिलाफ दायर उनकी अर्जी अब ‘‘अर्थहीन’’ हो गई, क्योंकि राष्ट्रपति ने सिफारिश स्वीकार कर ली है और इस बाबत एक अधिसूचना भी जारी की जा चुकी है.


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न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने विधायकों को अपनी अर्जी वापस लेने की इजाजत दे दी और इसे ‘वापस लिया’ हुआ मानकर खारिज कर दिया. ‘आप’ के एक विधायक की तरफ से पेश हुए वकील मनीष वशिष्ट ने न्यायालय को बताया कि उन्हें अयोग्य करार देने की आयोग की सिफारिश राष्ट्रपति की ओर से मंजूर कर लिए जाने के बाद सरकार ने 20 जनवरी को इस बाबत अधिसूचना जारी की. इस दलील को रिकॉर्ड पर लेते हुए न्यायालय ने जनवरी का अपना वह अंतरिम आदेश जारी रखा, जिसमें इन विधायकों को कोई राहत नहीं दी गई थी.


चुनाव आयोग ने की थी सिफारिश
चुनाव आयोग ने राष्ट्रपति को आप के 20 विधायकों के कथित तौर पर लाभ का पद रखने को लेकर अयोग्य ठहराने की सिफारिश की थी. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेजी गई अपनी राय में चुनाव आयोग ने कहा कि संसदीय सचिव होने के नाते इन विधायकों ने लाभ का पद रखा और वे दिल्ली विधानसभा के विधायक के पद से अयोग्य ठहराए जाने के योग्य हैं. आप के 21 विधायकों के खिलाफ चुनाव आयोग में याचिका प्रशांत पटेल नाम के एक व्यक्ति ने दायर की थी. इन विधायकों को दिल्ली की आप सरकार ने संसदीय सचिव नियुक्त किया था. जरनैल सिंह के खिलाफ कार्यवाही समाप्त कर दी गई थी क्योंकि उन्होंने पंजाब विधानसभा का चुनाव लड़ने के लिये राजौरी गार्डन के विधायक पद से इस्तीफा दे दिया था.



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क्यों रद्द हुई सदस्यता
साल 2015 फरवरी में दिल्ली विधानसभा चुनावों में 70 में से 67 सीटें जीतने वाली आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद अरविंद केजरीवाल ने पार्टी के 6 विधायकों को मंत्री बनाया था. थोड़े दिन बाद सीएम ने 21 विधायकों को दिल्ली सरकार के विभिन्न मंत्रालयों में संसदीय सचिव बना दिया था. इसी साल चुनाव आयोग ने आम आदमी पार्टी के 21 विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई शुरू की थी. सुनवाई के दौरान ही आम आदमी पार्टी के 21 में से एक विधायक जरनैल सिंह  (राजौरी गार्डन) इस्तीफा दे दिया था. इसलिए उनके खिलाफ दायर मामला खत्म हो गया था.  20 विधायकों पर मामला चलता रहा. अब जब चुनाव आयोग ने इस मामले में सुनवाई पूरी करके अपना फैसला सुना दिया है.


इन विधायकों को ठहराया गया 'अयोग्य'
जिन 20 विधायकों को अयोग्य ठहराया गया है उसमें आदर्श शास्त्री (द्वारका), अल्का लांबा (चांदनी चौक), अनिल बाजपेयी (गांधी नगर), अवतार सिंह (कालकाजी), कैलाश गहलोत (नजफगढ़), मदन लाल (कस्तूरबा नगर), मनोज कुमार (कोंडली), नरेश यादव (मेहरौली), नितिन त्यागी (लक्ष्मी नगर), प्रवीण कुमार (जंगपुरा) शामिल हैं. गहलोत अब दिल्ली सरकार में मंत्री भी हैं. इनके अलावा राजेश गुप्ता (वजीरपुर), राजेश ऋषि (जनकपुरी), संजीव झा (बुराड़ी), सरिता सिंह (रोहतास नगर), सोमदत्त (सदर बाजार), शरद कुमार (नरेला), शिवचरण गोयल (मोती नगर), सुखबीर सिंह (मुंडका), विजेंद्र गर्ग (राजेंद्रनगर) और जरनैल सिंह (तिलक नगर) भी शामिल हैं.


(इनपुट एजेंसी से भी)