8 साल के बाद सुलझी महिला की हत्या की गुत्थी, मकान मालिक ने ही करवाया मर्डर
महिला की लाश यमुना के तीसरे पुस्ते पर पर दिसंबर 2011 को मिली थी.
नई दिल्लीः दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने 8 साल पहले मिली लावारिश लाश मिलने की गुत्थी को सुलझा लिया है. इस महिला की लाश यमुना के तीसरे पुस्ते पर पर दिसंबर 2011 को मिली थी. शुरुआत में लाश के बारे में पुलिस को कोई सुराग हाथ नहीं लगा सथा. वहीं दूसरी ओर जब महिला के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो महिला के भाई ने जनवरी 2012 में महिला के गुमशुदगी की रिपोर्ट मॉडल टाउन थाने के दर्ज कराई थी. महिला के भाई ने शक जाहिर किया कि महिला का उसके पति के साथ उसका झगड़ा था.
इसके साथ ये भी बताया कि मकान मालिक के साथ घर खाली कराने के लिए विवाद चल रहा था. लेकिन उस वक़्त पुलिस को ना ही मकान मालिक और पति के खिलाफ कोई सबूत नही मिला और ना ही उस महिला की पहचान हो पाई.
साल 2015 में पुलिस ने लावारिस लाश मिलने की फाइल बंद कर दी. लेकिन बंद पड़े इस केस की जांच इसी साल 23 जनवरी 2019 को क्राइम ब्रांच को सौप दी गई. क्राइम ब्रांच की टीम एक बार नए सिरे अपनी जांच शुरू की ओर इस केस को सुलझाने का दावा किया है.
क्राइम ब्रांच के डीसीपी डॉ राम गोपाल नायक के मुताबिक इस मामले में तीन लोग गिरफ्तार किये गए हैं. जिसके वकिल वीरेंद्र कुमार,मकान मालिक अहलूवालिया और एक रिक्शा चालक कमलेश है. महिला की हत्या करवाने के लिए मकान मालिक अहलूवालिया ने वकील वीरेंद्र को 30 लाख की सुपारी दी थी. जिसके 10 लाख एडवांस दिए गए थे और फिर हत्या के बाद 20 लाख दिए गए.
पूछताछ में आरोपी ने बताया कि महिला अहलूवालिया के घर किराये पर रह रही थी और वो अपना घर खाली करवाना चाहता था. लेकिन महिला घर खाली नही कर रही थी. वहीं दूसरी ओर महिला का उसके पति के साथ जो विवाद चल रहा था उसका केस वकील वीरेंद कुमार लड़ रहा था. इसलिए महिला की हत्या की सुपारी वीरेंद्र को दी गई. जब महिला केस के सिलसिले में वीरेंद्र से मिली तो वहीं महिला की गला दबाकर हत्या कर दी गई और लाश को उस्मानपुर इलाके में तीसरा पुस्ता के पास फेंक दिया गया. पुलिस इस हत्या में शमिल कुछ और लोगो की तलाश कर रही है.