बुराड़ी केस: अंधविश्वास में `आस्था` के कारण जब एक साथ 900 लोगों की जान गई
अमेरिका में जिम जोंस नाम के धार्मिक नेता ने 1950 के दशक में इंडियाना प्रांत में पीपुल्स टेंपल धार्मिक समुदाय की स्थापना की.
दिल्ली के बुराड़ी में एक ही परिवार के 11 लोगों की मौत की वजह को अंधविश्वास में 'आस्था' और 'मोक्ष' की चाह के रूप में देखा जा रहा है. देश की राजधानी में हुई इस घटना के कारण लोग सकते में हैं. भारत में संभवतया ऐसा पहली बार हुआ है जब इस तरह के किसी धार्मिक अंधविश्वास के कारण एक साथ 11 लोगों की कथित रूप से खुदकुशी के कारण मौतें हुई हैं. इस कारण कई लोगों के गले यह बात नहीं उतर रही लेकिन ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हुआ है. दुनिया में इस तरह की कई ऐसी घटनाएं हुई हैं जिन्होंने लोगों को हैरत में डाल दिया. आधुनिक दुनिया में इस तरह की सबसे लोमहर्षक घटना दक्षिणी अमेरिकी देश गुयाना में 1970 के दशक में घटित हुई जब 900 से भी ज्यादा लोगों ने कथित रूप से सामूहिक खुदकुशी की. इतिहास में इसको जोंसटाउन नरसंहार के रूप में जाना जाता है:
जोंसटाउन नरसंहार
अमेरिका में जिम जोंस नाम के धार्मिक नेता ने 1950 के दशक में इंडियाना प्रांत में पीपुल्स टेंपल धार्मिक समुदाय की स्थापना की. कुछ ही सालों में यह बहुत प्रसिद्ध हो गया और इसके सैंकड़ों-हजारों अफ्रीकी-अमेरिकी अनुयायी बन गए. 1970 की शुरुआत में अमेरिका में इस पर शारीरिक उत्पीड़न, बाल शोषण, वित्तीय फ्रॉड जैसे कई किस्म के आरोप लगने शुरू हो गए. लिहाजा अमेरिका छोड़कर दक्षिण अमेरिका के गुयाना में इसने एक निर्जन स्थान जोंसटाउन में अपना ठिकाना बनाया.
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इसने अपने अनुयायियों से कहा कि यह इस जगह को ईश्वसरीय स्थल में बदल देगा. वह खुद को मसीहा कहता था और मस्तिष्क पर नियंत्रण के तरीकों से अपने अनुयायियों का ब्रेनवॉश करता था. वह एक ऐसे साम्यवादी समुदाय की वकालत करता था, जहां पर किसी किस्म का सामाजिक भेदभाव नहीं होगा. ये जोंसटाउन तकरीबन 3800 एकड़ में फैला था. इसका निर्माण 1974 में शुरू हुआ और 1977 तक यह बना.
गुयाना ने भी एक खास मकसद से पीपुल्स टेंपल को अपने यहां बसने की इजाजत दी. दरअसल उस दौरान वेनेजुएला और अमेरिका के बीच ठनी रहती थी. वेनेजुएला की सीमा गुयाना से सटी थी. लिहाजा गुयाना को डर था कि यदि अमेरिका ने वेनेजुएला पर हमला कर दिया तो उसको भी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा. लिहाजा उसने पीपुल्स टेंपल के लोगों को इसलिए बसने की इजाजत दी क्योंकि इनमें से अधिकांश अमेरिकी थे. लिहाजा गुयाना का मानना था कि अमेरिका कभी अपने लोगों पर कार्रवाई नहीं करेगा. इसलिए पादरी जिम जोंस इस तरह का एक शहर बसा सका. इसका बाहरी दुनिया से कोई लेना-देना नहीं था. यहां बस उसकी हुकूमत चलती थी. वह अपने अनुयायियों का रहनुमा था.
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दिक्कतें
जोंसटाउन बनने के बाद जब यह जगह ईश्वसरीय स्थल में तब्दील नहीं हुई और लोगों को कष्टों का सामना करना पड़ा तो उनमें से कुछ का मोहभंग होना शुरू हो गया. उन्होंने आरोप लगाया कि उनका जबरन शोषण हो रहा है और उनके बच्चों को बंधक बना लिया गया है. ऐसे कई 'भक्तों' ने अमेरिकी सांसद लियो रेयान से पूरे मामले की जांच करने का आग्रह किया.
18 नवंबर, 1978
अमेरिकी सांसद लियो रेयान अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ मामले की जांच के लिए 17 नवंबर, 1978 को जोंसटाउन पहुंचे. वहां जिम जोंस की पत्नी ने उनको जोंसटाउन दिखाया. उस दिन तो सब ठीक रहा. लेकिन अगले दिन जब वो लोग जाने वाले थे तभी कुछ अनुयायी वहां पहुंचे और कहने लगे कि वे यहां के जीवन से तंग आकर वापस घर लौटना चाहते हैं. इससे वहां मौजूद जिम जोंस को गुस्सा आ गया. उसके एक समर्थक ने सांसद रेयान पर चाकू से हमला कर दिया. वह किसी तरह बचकर वहां से भागे. लेकिन जब वह अपने विमान में बैठने वाले थे तभी जोंस के लोगों ने उनकी हत्या कर दी. जोंस को पता था कि अब अमेरिकी कार्रवाई होना तय है.
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लिहाजा उसने अनुयायियों को एक पैवेलियन में एकत्र किया. उसने वहां उपस्थित लोगों से कहा कि यदि उन लोगों ने आत्महत्या नहीं की तो अमेरिकी सैनिक उनको और बच्चों को कत्ल कर देंगे. उसने लोगों से यह वादा भी किया वह मरकर एक बेहतर दुनिया में जाएंगे. इसलिए उसने लोगों से इस 'क्रांतिकारी' कदम को उठाने के लिए कहा. लिहाजा एक बड़े से टब में अंगूर के फ्लेवर में सॉफ्ट ड्रिंक को भरा गया. उसमें सायनाइड जैसे खतरनाक जहर को मिलाया गया. उसको सबको पीने को दिया गया. इस तरह 900 से ज्यादा लोगों की मौतें हुईं. इनमें से एक तिहाई बच्चे थे.
जिन लोगों ने जहर पीने से इनकार किया तो उनको बंदूक दिखाकर जबर्दस्ती जहर पिलाया गया. जिम जोंस ने खुद जहर नहीं पिया. जब उसकी लाश मिली तो उसके सिर पर गोली का निशान था. कहा जाता है कि उसने किसी से कहकर अपने ऊपर गोली चलवाई. इस पूरे घटनाक्रम में 900 से अधिक लोगों की एक साथ जान गई. अमेरिकी इतिहास में यह 9/11 अमेरिकी आतंकी हमले के बाद यह सबसे बड़ी घटना है, जिसमें एक साथ इतने लोगों की जान गई.