नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने पटरियों पर बिना उचित लाइसेंस के खुले भोजनालयों को फुटपाथों पर अतिक्रमण करार देते हुए शहर की सरकार और नागरिक निकायों से पूछा है कि उन्होंने इन दुकानों के खिलाफ क्या कार्रवाई की है? 


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मुख्य न्यायाधीश जी. रोहिणी और न्यायाधीश जयंत नाथ ने सरकार और नागरिक निकायों के वकीलों से कहा, ‘यदि कोई लाइसेंस या अनुमति जारी नहीं की गई है, तो वे अतिक्रमण ही हैं। उन्हें हटाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? क्या आप कोई कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं? निर्देश लीजिए और अपने जवाब दायर कीजिए।’ 


ये टिप्पणियां और आदेश एक जनहित याचिका पर गौर करने के बाद की गयीं। याचिका में आरोप लगाया गया था कि पिछले एक साल में ऐसी कई घटनाएं हुई हैं, जब लोग ऐसे भोजनालयों में उबलते पानी या गिरते पानी के कारण घायल हो गए हैं। इनमें से एक मामले में एक बच्चे की मौत भी हो गई थी। सांसेर पाल सिंह की याचिका में यह भी आरोप लगाया गया था कि अधिकतर मामलों में ये दुकानें बिना वैध लाइसेंस या परमिट के चल रही हैं और इस तरह से ये पटरियों पर अतिक्रमण हैं।


याचिकाकर्ता ने ऐसी दुकानों के खिलाफ सरकार और नागरिक निकायों की ओर से कार्रवाई की मांग की थी। इसके साथ ही यह भी मांग की गई थी कि ‘पटरियों पर गैस स्टोव, बर्नर, चूल्हे, तंदूर लगाना प्रतिबंधित किया जाए’ या फिर खाना पकाने के लिए अलग क्षेत्र रखा जाए ताकि पास से गुजरते लोगों पर तेल पड़ जाने से वे घायल न हों।