नई दिल्ली: दशहरे के बाद से दिल्ली में पॉल्यूशन का स्तर रिकॉर्ड लेवल पर है. ऐसे में भलस्वा स्थित कचरे के ढेर में लगी आग ने संकट और गहरा दिया है. आपको बता दें कि यह आग शनिवार देर रात 2 बजे लगी थी और सोमवार सुबह तक जलती रही. अब आस-पास के इलाकों में बस काला धुआं ही धुआं दिखाई दे रहा है. आशंका जताई जा रही है कि यह धुआं दिल्ली के प्रदूषण को बढ़ाने में एक बड़ी भूमिका निभा सकता है. आस-पास के लोग दहशत में हैं कि धीरे-धीरे इस धुएं में ही उनका दम घुट जाएगा.


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सबसे बड़ी बात तो यह है कि ये आग पहली बार नहीं लगी है. यहां आग बुझती ही नहीं है. महीने भर ये जलती ही रहती है. कभी बड़ी तो कभी छोटी. यहां की सफाई सेना बताती है कि तीन सालों से यह आग ज्यादा लग रही है. लैंडफिल में काम करने वाली साइरा बताती हैं, "यहां की गैस बाहर ले जाई नहीं जा रही और प्रशासन बिल्कुल सुस्त रवैये में काम करती है. कभी आग बुझाई जाती है कभी नहीं. हम खुद इस काम में आगे आते हैं. हमें डर है कि आने वाले दिनों में ये आग नीचे जरूर आएगी और इसका धुआं हमें और हमारे बच्चों को खत्म कर देगा."


भलस्वा के आस-पास कई इलाके हैं जो सिर्फ इस लैंडफिल साइट से नहीं बल्कि आग से निकले धुएं से प्रभावित हो रहे हैं. जब हमने यहां की बस्ती में लोगों से बात की तो पाया कि हर घर में एक या दो लोग इस धुएं से बीमार हैं. जो कचरे के इस पहाड़ में काम करते हैं वो तो मजबूर हैं लेकिन जो लोग नीचे रहते हैं वे भी सांस और दिल की बीमारी से बेहाल हैं. एक-एक गली में 200 से ज्यादा घर हैं. लैंडफिल के आस-पास कम से कम 1000 घरों की एक बस्ती है. जहां के हर घर में एक या दो इंसान धुएं से बीमार है.


भलस्वा के पास रहने वाली मुनिता कहती हैं, "जो लोग कचरे में काम करते हैं वे तो बीमार होते हैं उनका पूरा परिवार ही कोई ना कोई बीमारी झेलता है. आस-पास के सभी अस्पतालों में हमेशा भीड़ रहती है. अब तो आदत हो गई है. लेकिन, हां हम डर के साथ जी रहे हैं." दिल्ली में पॉल्यूशन के कई अन्य कारणों पर चर्चा हो रही है. पराली, इंडस्ट्री पर रोक, ट्रांसपोर्ट पर काबू किया जा रहा है लेकिन एक बड़ी समस्या यह लैंडफिल साइट भी है. सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में दिल्ली सरकार और एमसीडी यहां तक कि एलजी को भी फटकार लगाते हुए जल्द से जल्द लैंडफिल साइट से कूड़ा हटाने का आदेश दिया था. लेकिन, अब तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है.


सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक अब जल्द ही दिल्ली सरकार भलस्वा लैंडफिल साइट को कैप करेगी. वहां लगातार लग रही आग की घटनाओं को देखते हुए सरकार यह फैसला ले सकती है. आपको बता दें कि साल 2009 में ही इस साइट की मियाद पूरी हो गई थी मतलब वहां कोई जगह ही नहीं बची थी कि कचड़ा-कूडा वहां डाला जाए लेकिन अब तक यह हो ही रहा था. हर महीने वहां आग लगती है और निकलने वाला धुआं बहुत ही खतरनाक होता है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई में ही दिल्ली सरकार और एमसीडी को फटकार लगाते हुए ये निर्देश दिए थे कि तीनों लैंडफिल गाजीपुर, ओखला और भलस्वा को बंद कर दिया जाए, लेकिन एमसीडी इसे लेकर काफी सुस्त है. आपको यह भी बता दें कि दो महीने पहले एलजी ने 24 लोगों की एक एक्सपर्ट टीम बनाई है जो सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट पॉलिसी पर काम कर रही है. जल्द ही उसकी रिपोर्ट दिल्ली सरकार को सौंपी जाएगी.