नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने सोमवार को कहा कि माओवादियों से कथित संबंधों के लिए महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार नागरिक अधिकार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को राष्ट्रीय राजधानी से तब तक बाहर नहीं ले जाया जाए, जबतक कि वह कल सुबह मामले पर सुनवाई नहीं कर लेती.


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न्यायमूर्ति एस मुरलीधर और न्यायमूर्ति विनोद गोयल की पीठ ने कहा कि नवलखा अपने आवास पर पुलिस की निगरानी में रहेंगे और उन्हें सिर्फ अपने वकीलों से मिलने की अनुमति होगी. अदालत ने यह भी कहा कि अदालत बुधवार सुबह सबसे पहले इस मामले पर सुनवाई करेगी. हाई कोर्ट नवलखा की तरफ से अधिवक्ता वारिशा फरासत द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई कर रहा था. 


नवलखा को घर से ले गई पुलिस 
महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार दोपहर दिल्ली में नवलखा को उनके आवास से उठा लिया. उन्हें कोरेगांव-भीमा गांव में पिछले साल 31 दिसंबर को हुई हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने उठाया.


वामपंथी कार्यकर्ता वरवर राव और सुधा भारद्वाज को भी महाराष्ट्र पुलिस ने मंगलवार को गिरफ्तार किया. महाराष्ट्र पुलिस ने माओवादियों के संदिग्ध समर्थकों के दिल्ली समेत कई राज्यों में ठिकानों पर छापेमारी की.


यह छापेमारी महाराष्ट्र के कोरगांव-भीमा गांव में हुई हिंसा की जांच के सिलसिले में की गई. यह घटना पुणे में पिछले साल 31 दिसंबर को ‘एल्गार परिषद’ कार्यक्रम का आयोजन किये जाने के बाद हुई थी.


(इनपुट - भाषा)