चंडीगढ़ (कुलवीर दीवान): पानी के मुद्दे को लेकर पंजाब और हरियाणा में एक बार फिर सियासत तेज होने लगी है. पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने पानी के मुद्दों पर बात करने के लिए 23 जनवरी को सर्वदलीय बैठक बुलाई तो प्रतिक्रिया हरियाणा से भी तत्काल आई. एसवाईएल का मुद्दा दोनों राज्यों के बीच पानी को लेकर विवाद का कारण रहा है.
    
पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में द पंजाब वॉटर रिसोर्सेस मैनेजमेंट एंड रेगुलेशन बिल 2020 पर चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सदन को जानकारी दी कि पंजाब ने पानी के मुद्दों पर बातचीत करने के लिए 23 जनवरी को सर्वदलीय बैठक बुलाई है.


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गौरतलब है कि पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब में पानी की समस्या को लेकर कई बार चिंता जता चुके हैं. पंजाब के पानी के मुद्दे से ही पंजाब और हरियाणा में एसवाईएल का विवाद भी जुड़ा हुआ है. समय-समय पर इस मुद्दे को लेकर दोनों राज्यों के बीच सियासत कई बार गरमाई है. खास तौर पर चुनाव के दिनों में दोनों राज्यों में एसवाईएल का मुद्दा एक अहम मुद्दा बनाया जाता है.


 उधर पंजाब की तरफ से पानी के मुद्दे पर बैठक बुलाए जाने की सूचना पाकर प्रतिक्रिया हरियाणा से भी आने में देर नहीं लगी. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने  कहा कि सब राज्य अपने हिसाब से अपने मुद्दों पर बैठक करते हैं, लेकिन पानी रोकने के तथ्यों में कोई सच्चाई नहीं. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर से हरियाणा को पानी मिलेगा, अभी केवल एक एग्जीक्यूशन ऑर्डर आना बाकी है, उसके बाद हरियाणा को इसके हिस्से का पानी मिलेगा.


बहरहाल इन दिनों में ना तो पंजाब और ना ही हरियाणा में कोई चुनाव है, लेकिन पंजाब द्वारा पानी के मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाए जाने से पंजाब और हरियाणा के बीच एसवाईएल का राजनैतिक शोर एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है. हालांकि इस बार गैर चुनावी मौसम में उठा यह मुद्दा क्या कोई परिणाम देकर शांत होगा या फिर हमेशा की तरह मातर राजनीतिक बयानों की चरम सीमा तक पहुंचने के बाद धीरे-धीरे हमेशा की तरह ठंडा होने लगेगा.