नई दिल्ली : ट्रेन के स्टेशन पहुंचने के पहले ही रेलगाड़ी में मौजूद सभी खामियों का रेलकर्मियों को पता लग जाएगा. वहीं स्टेशन पर पहुंचते ही रेलकर्मी मिनटों में इन खामियों को दूर कर फिर से गाड़ी को फुल स्पीड से चलने लायक बना देंगे. गाड़ियों के मेंटिनेंस और बेहतर परिचालन के लिए रेलवे स्मार्ट यार्ड की तकनीक पर काम कर रहा है. फिलहाल इस तरह की तकनीक पर ही जर्मनी की बुलट ट्रेन चलायी जाती है. सूत्रों के अनुसार रेलवे इस तकनीक को पायलट प्रोजेक्ट के तहत नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर प्रयोग कर सकता है.


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कैसे काम करता है स्मार्ट यार्ड
स्मार्ट यार्ड तकनीक के तहत रेलगाड़ी के गंतव्य स्टेशन पर पहुंचने के कुछ किलोमीटर पहले खास तरह के उपकरण लगाए जाते हैं. इन उपकरणों में कई तरह के सेंसर और अत्यधिक क्षमता वाले कैमरे होते हैं. ये सैंसर और कैमरे चलती ट्रेन की जांच करते हैं और ऐसे पुर्जों का पता लगा लेते हैं जिनमें किसी तरह की खामी होती है. ऐसे में गाड़ी के गंतव्य स्टेशन पर मौजूद यार्ड में मौजूद तकनीकी कर्मियों को गाड़ी के स्टेशन पर पहुंचने के पहले ही यह पता लग जाता है कि गाड़ी में कहां खामी है. गाड़ी के स्टेशन पर पहुंचने पर कर्मी तत्काल उन पुर्जों की मरम्मत का काम शुरू कर देते हैं जिनमें खामी हो. जर्मनी में चलने वाली बुलट ट्रेन की जांच इसी तरह के सिस्टम से गंतव्य स्टेशन से 200 किलोमीटर पहले ही कर ली जाती है. ऐसे में मेंटिनेंस का समय काफी बच जाता है और बेहतर मेंटिनेंस सुनिश्चित किया जा पाता है.


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फिलहाल होता है मैन्युअल जांच
वर्तमान समय में रेलगाड़ी के स्टेशन पर पहुंचने के बाद रेल कर्मी यार्ड में गाड़ी की मैन्युअली जांच करते हैं. कुछ घंटों की जांच के बाद संदेह के आधार पर पुर्जों की जांच होती है और पाई जाने वाली खामियों को ठीक किया जाता है. बड़ी खामी होने पर डिब्बे को बदला जाता है. अगर चेकिंग में कोई चूक हुई, तो हादसे की आशंका बनी रहती है. स्मार्ट यार्ड व्यवस्था के लागू होने पर गाड़ी की आधुनिक तरीके से जांच होगी. और चूक की संभावना बेहद कम हो जाएगी.


नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर काम करेगा ये सिस्टम
रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार भारतीय रेलवे में ये स्मार्ट यार्ड सिस्टम पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर उत्तर रेलवे के दिल्ली मंडल में नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लगाया जा सकता है. इस सिस्टम के लगने से गाड़ियों को समय से चलाने में भी काफी मदद मिलेगी.