CAA प्रदर्शन: शाहीन बाग में सड़क जाम को लेकर हाईकोर्ट का निर्देश, `उचित कार्रवाई करें`
सड़क खुलवाने को लेकर यह याचिका वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी की ओर से दायर की गई थी.
नई दिल्ली: नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ दिल्ली के शाहीन बाग (shaheen bagh) इलाके में जारी विरोध प्रदर्शन के चलते पिछले करीब 1 महीने से दिल्ली-नोएडा को जोड़ने वाली कालिंदी कुंज-मथुरा रोड सड़क संख्या 13-A पूरी तरह से बंद है. आज इस सड़क को खुलवाने को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. कोर्ट ने याचिका का निस्तारण करते हुए प्रशासन को निर्देश दिया कि जनता के हित को देखते हुए कानून के मुताबिक कार्रवाई करे.'
बता दें कि दिल्ली ट्रैफिक पुलिस की रोज की तरह आज भी ट्वीट कर लोगों से इस मार्ग के बंद होने और इसकी जगह डीएनडी और अक्षरधाम मार्ग से जाने का अलर्ट जारी किया. यह याचिका वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी की ओर से दायर की गई थी.
याचिका में कहा गया था कि 15 दिसंबर के बाद से ही मथुरा रोड से कालिंदी कुंज की तरफ जाने वाली सड़क प्रदर्शनकारियों ने बंद कर रखी है जिसकी वजह से रोजाना हजारों लाखों लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है. कोर्ट से मांग की गई थी कि कोर्ट पुलिस को और सरकार को निर्देश दे कि वह इस रास्ते को खुलवा है जैसे कि लोगों की परेशानी कम हो. दिल्ली के शाहीन बाग में आज भी प्रदर्शन जारी है.
12 जनवरी को शाहीन बाग में अलग ही नजारा दिखाई दिया. यहां सुबह से ही यज्ञ हुआ, शब्द कीर्तन हुआ, कुरान पढ़ी गई और बाइबल पढ़ी गई. इसका मकसद यही था कि यहां होने वाले प्रदर्शन को किसी एक धर्म के लोगों के साथ ना जोड़ा जाए.
इसके अलावा 11 जनवरी को हुए विरोध प्रदर्शन में 'जिन्ना (Jinnah) वाली आजादी' के नारे लगे हैं. बता दें शाहीन बाग इलाके में पिछले कई दिनों से सीएए के विरोध में प्रदर्शन चल रहा है. दिल्ली बीजेपी (BJP) प्रवक्ता तेजिंदर पाल बग्गा ने एक वीडियो ट्वीट किया जिसे शाहीन बाग का वीडियो बताया जा रहा है. बग्गा ने ट्वीट करते हुए कहा, हम लेकर रहेंगे आजादी, जिन्ना वाली आजादी' लेफ्ट आतंकियों ने सीएए विरोध में यह नारे शाहीन बाग में लगाए हैं.
उन्होंने लिखा, मैं पहले दिन से कह रहा हूं कि यह विरोध प्रदर्शन मोदी के खिलाफ है. यह प्रदर्शन भारत के खिलाफ है.'
बता दें शाहीनबाग में सीएए का विरोध स्थानीय महिलाओं द्वारा किया जा रहा है. इन महिलाओं का प्रदर्शन शुरू हुए करीब 27 दिन हो चुके हैं. इन महिलाओं को जामिया के स्टूडेंट्स का भी समर्थन मिल चुका है.