नई दिल्ली: संत ईश्वर फाउंडेशन द्वारा राष्ट्रीय सेवा भारती के सहयोग से 'संत ईश्वर सम्मान 2019' का आयोजन रविवार को एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में हुआ. संत ईश्वर सम्मान में विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत संस्थाओं और महानुभावों को सम्मानित किया गया. हर वर्ष की तरह इस बार भी चार समाज सेवियों और स्वयंसेवी संस्थाओं को संत ईश्वर विशिष्ट सेवा सम्मान प्रदान किया गया. 12 शख्सियतों और संस्थाओं को संत ईश्वर सेवा सम्मान दिया गया. विशेष सेवा सम्मान सियाचिन बिग्रेड, भारतीय सेना को दिया गया. समारोह के मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल जबकि विशिष्ट अतिथि केन्द्रीय संस्कृति एवं पर्यटन राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल थे. दोनों अतिथियों ने विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया. 


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इस अवसर पर मुख्य अतिथि डॉ कृष्ण गोपाल ने कहा जिनका आज सम्मान हुआ है, उन्होनें समाज में दूसरों के कष्ट को पहचाना, वह समस्याओं को लेकर सरकार के पास नहीं गए, उन्होनें किसी को दोष नहीं दिया, उन्होंने उपलब्ध सीमित संसाधनों से ही समाज कार्य किया और दूसरों की सहायता की. संत ईश्वर फाउंडेशन ने मिजोरम से लेकर राजस्थान, आंध्रप्रदेश से महाराष्ट्र तक समस्त भारत में निस्वार्थ कार्य कर रहे ऐसे समाज सेवकों को खोजकर इस मंच पर लाने का प्रशंसनीय और अद्भुत कार्य किया है. 


कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि प्रहलाद सिंह पटेल ने कहा कि में विभिन्न क्षेत्रों में सेवारत इन संस्थाओं व महानुभावों ने निस्वार्थ अपने कार्यक्षेत्र में कार्य किया और कभी सोचा भी नहीं था उनके प्रकल्प के लिए उन्हें कभी कोई सम्मान देगा. ऐसे लोगों को समाज और सरकार दोनों का समर्थन मिलना चाहिए. 



फाउंडेशन के अध्यक्ष कपिल खन्ना ने बताया कि सम्मानित होने वाले व्यक्तियों/संस्थाओं का चयन भी अवकाश प्राप्त न्यायाधीश, समाजसेवक, वरिष्ठ पत्रकार एवं कला कर्मीजनों के सहयोग से किया गया. इस बार चयन समिति में न्यायमूर्ति प्रमोद कोहली जी (सेवानिवृत्त, मुख्य न्यायधीश, सिक्किम उच्च न्यायालय), पद्मश्री जवाहरलाल कौल (अध्यक्ष-जम्मू कश्मीर स्टडी सेंटर), पद्मश्री राम बहादुरराय जी (अध्यक्ष-इन्दिरा गांधी राष्ट्रीय कला केन्द्र), पन्ना लाल भंसाली जी (अध्यक्ष-राष्ट्रीय सेवा भारती), गुणवन्त सिंह कोठारी (संत ईश्वर सम्मान समिति ) और  एस गुरुमूर्ति शामिल थे. 



गौरतलब है कि संत ईश्वर फाउंडेश्न की स्थापना सन् 2013 में की गई थी. इसी तरह के प्रयासों की कड़ी में प्रति वर्ष चार व्यक्तियों और स्वयंसेवी संस्थाओं को संत ईश्वर विशिष्ट सेवा सम्मान (प्रत्येक को 5 लाख रुपये की राशि) एवं अन्य बारह व्यक्तियों या संस्थाओं को संत ईश्वर सेवा सम्मान (प्रत्येक को 1 लाख रू की राशि) कुल राशि 32 लाख रुपये दिए जाते हैं. 


इस वर्ष संत ईश्वर सम्मान से सम्मानित होने वाली संस्थाएं व समाज सेवक इस प्रकार से हैं: सियाचिन ब्रिगेड भारतीय सेना (लद्दाख ) भारतीय सेना ने पिछले 19 महीनों में सियाचिन ग्लेसियर की  परिस्थियों में 130 टन से अधिक कचरा साफ़ किया.


संत ईश्वर विशिष्ट सेवा सम्मान: सम्मानित चार शख्सियतों, स्वैच्छिक संगठनों अथवा समूह के प्रत्येक विजेता को पांच लाख रुपये शॉल, ट्रॉफी एवं प्रमाण पत्र के द्वारा पुरस्कृत किया गया.


1. स्वामी प्राणरूपानंद (जिला खोर्धा, ओड़िसा)- इनके अथक प्रयाश से ओड़िसा के कई वनवासी क्षेत्र धर्मातरण मुक्त रहे. यशोदा सदन के 50 बच्चों को धर्मातरण किया.
2. चैत्राम पवार (धुले, महाराष्ट्र) - पानी की कमी को दूर करने के लिए 700 से अधिक चेक डैम बनवाकर गांवों को हरा भरा किया.
3. सुनंदा वासुदेव तोलबंदि (विजयापुर, कर्नाटका) - इनके प्रयासों से अब तक 2250 बल मजदूरों का पुर्णवास किया गया और 1700 से अधिक बाल विवाह रोके गए हैं.
4. आश्रय (ऊना, हिमाचल प्रदेश) बेसहारा बच्चों को आवास और विद्दालय सुनिश्चित करवाए, लावारिस घायल लोगों को स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध करवाई.


संत ईश्वर सेवा सम्मान: 1 लाख राशि, शॉल, ट्रॉफी, प्रमाण पत्र और प्रतीक मुद्रा द्वारा सम्मानित किया गया.


1. दर्शन लाल (देहरादून, उत्तराखंड)- जान भागीदारी से बुक्सा जनजाति गांवों में 5 प्राथमिक, 2 जूनियर हाई स्कूल एवं इण्टर कॉलेज की स्थापना कराई और 3000 बच्चों को शिक्षित किया.
2. पी. लालहमीगलियानी (आइजोल, मिजोरम) मिजोरम के ग्रामीण क्षेत्र में इनके प्रयाश से 100 बच्चों ने अच्छी शिक्षा प्राप्त की और 10 को इनमें से कई को नौकरी मिल चुकी है.
3. रशिद मोहन गावीत (नंदूरबार, महाराष्ट्र ) कृषि - नई पद्धति से कृषि कार्य और पशुपालन को विकसित कर इन्होंने 50 किसानों को लेकर बलिराजा कृषक मंडल का गठन किया और सामूहिक कृषि के नए प्रयोग किये.
4. भगीरथ ग्राम विकास प्रतिष्ठान (सिंधुदुर्ग , महाराष्ट्र ) - गांव के 50 व्यक्तियों की टीम ने 700 से अधिक बायोगैस का निर्माण किया, कृषि के लिए पंप, पाइप लाइन की व्यवस्था की.
5. हिम्मताराम भांभू (नागोर, राजस्थान ) - वन्य जीवों के संरक्षण के लिए अपनी 36 बीघे जमीन को जंगल में परिवर्तित कर दिया और 3.5  लाख पौधे लगाए जो आज वृक्ष  बन चुके हैं.
6. जयवंत वाडेकर (ठाणे, महाराष्ट्र ) - 80 वर्ष की उम्र को चुनौती देते हुए आर्गोनिक खेती, नए प्रकार के यंत्रों को कम कीमत पर उपलब्ध करवाया और 50 से अधिक विभिन्न - प्रकार के यंत्रों का निर्माण किया.
7. सुमन अखौरी (पलामू, झारखण्ड ) - जागृति महिला की स्थापना करके 5000 स्वम सहायता समूहों के माध्यम से 60000 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया
8. स्नेगा लथा ( कोयंबतूर, तमिलनाडु ) - कन्याकुमारी जिले में बालवाड़ी केंद्र की स्थापना की और महिलाओं को सुद्रढ़ करने के लिए सहायता केंद्रों की स्थापना की.
9. डॉ शांता वैद्य मेमोरियल फाउंडेशन (पुणे, महाराष्ट्र ) - डिस्लेक्सिया से पीड़ित बच्चों को शिक्षा के समुचित अवसर प्राप्त करवाए.
10. श्रेया स्कूल ( पूर्वी गोदावरी आंध्र प्रदेश ) - 15 वर्षों से दिव्यांग बच्चों को शिक्षित और कौशल विकास योजनाओं से जागरूक करते हुए उन्हें स्वावलंबी बनाया
11. डॉ मनीषा योगेश खलदकर (पुणे, महाराष्ट्र ) - भारत सरकार के नैनों उपग्रह 'स्वम ' के लिए अभियांचिक प्रशिक्षण 176 बच्चों के साथ काम करके सफलता प्राप्त की.
12. रेखा हेम्ब्रम (दुमका, झारखण्ड) - श्रद्धाजागरण की स्थापना करके 25000 लोगों को धर्मातरित होने से रोका और 20  स्थानों पर मंदिर बनवाए.