नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव में हार के बाद दिल्ली कांग्रेस के नेताओं का एक धड़ा पार्टी के दिल्ली प्रभारी पीसी चाको के विरोध में खुलकर सामने आ गया है और उन्हें हटाने की मांग की है. लोकसभा  चुनाव से पहले गठबंधन को लेकर कांग्रेस की आम आदमी पार्टी (आप) से लंबी बातचीत हुई, हालांकि दोनों में तालमेल नहीं हुआ.


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चाको इस बातचीत के दौरान कांग्रेस का नेतृत्व कर रहे थे. वैसे, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी की अध्यक्ष शीला दीक्षित औेर राज्य इकाई के कुछ अन्य वरिष्ठ नेता आप के साथ गठबंधन का विरोध कर रहे थे. 


चाको नबंबर 2014 में बने थे दिल्ली के प्रभारी
इस चुनाव में कांग्रेस दिल्ली की सातों लोकसभा सीटों पर हार गई. यहां तक कि शीला एवं अजय माकन जैसे नामी चेहरों को हार का सामना करना पड़ा. चाको को नवंबर, 2014 में दिल्ली का प्रभारी बनाया गया था.


चाको को क्यों नहीं देना चाहिए इस्तीफा?
दिल्ली कांग्रेस के नेता रोहित मनचंदा ने कहा,‘चाको के नेतृत्व में पार्टी सभी चुनाव हारी है. चाहे लोकसभा चुनाव हो, चाहे विधानसभा चुनाव हो या फिर एमसीडी चुनाव. अगर नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए राहुल गांधी इस्तीफा देने के बारे में सोच सकते हैं तो फिर चाको को इस्तीफा क्यों नहीं देना चाहिए?’


दिल्ली कांग्रेस के कई अन्य नेताओं ने भी मनचंदा की राय का समर्थन किया है. वर्ष 2004 में साकेत विधानसभा सीट से विधानसभा चुनाव लड़ चुके मनचंदा ने यह भी आरोप लगाया कि चाको ने दिल्ली कांग्रेस के कार्यालय में उनके साथ ‘दुर्व्यवहार’ किया. चाको ने मनचंदा के आरोप से इनकार करते हुए कहा, ‘ऐसा कुछ नहीं हुआ. मैं उन्हें बहुत अच्छी तरह नहीं जानता.’


दिल्ली कांग्रेस के एक अन्य नेता ने कहा,‘लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार से पार्टी से जुड़ा हर व्यक्ति चिंतित है इसलिए यह स्वाभाविक है कि जो लोग हार के लिए जिम्मेदार हैं, उन्हें हटना चाहिए. चाको के तहत पार्टी के नेता और कार्यकर्ता आत्मविश्वास खो रहे हैं.’