चंडीगढ़: पंजाब विजिलेंस द्वारा एक साल में रिश्वत के मामले में पकड़े गए 147 अधिकारियों और 18 अन्य लोगों का डाटा जारी करने के साथ ही पंजाब सरकार रिश्वतखोरी के मामले में जीरो टॉलरेंस का क्रेडिट लेने लगी है जबकि विपक्ष इससे संतुष्ट नहीं है. विपक्ष का मानना है कि रिश्वतखोरी के मामले में केवल छोटे अधिकारियों या कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है जबकि बड़ी मछलियों पर करवाई होनी चाहिए.

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पंजाब विजिलेंस ने वर्ष 2019 में रिश्वत लेते पकडे गए मामलों का डाटा सार्वजनिक किया है. इस डाटा के मुताबिक़ 147 अधिकारी और 18 अन्य लोगों को एक साल के दौरान रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया है. विजिलेंस ने अपनी रिपोर्ट में यह भी खुलासा किया है कि अपराधियों की सो करोड़ से भी अधिक की संपत्ति को जब्त किया है.


इसी आंकड़े को लेकर सरकार क्रेडिट लेने की कोशिश में है कि पंजाब सरकार का भ्रष्टाचार को लेकर जीरो टॉलरेंस वाला नजरिया है और जो गलत काम करेगा उसको बख्शा नहीं जाएगा. कैबिनेट मिनिस्टर बलबीर सिद्धू ने कहा है कि सरकार भ्र्ष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेगी.
       
हालांकि विपक्ष करवाई से पूरी तरह संतुष्ट नहीं है. विपक्ष का मानना है कि रिश्वत के मामलों में विजिलेंस ने बेशक बेहतर काम किया है मगर रिश्वत खोरी के मामलों में बड़ी मछलियों को पकड़ने की जरूरत है. आम आदमी पार्टी के विधायक जयकिशन रोड़ी और शिरोमणि अकाली दल के नेता चरणजीत सिंह बराड़ ने कहा है कि जब तक बड़ी मछलियों को काबू नहीं किया जाता तब तक भ्र्ष्टाचार पर लगाम नहीं लगाई जा सकती हालांकि विजिलेंस की कार्रवाई सराहनीय है.


पंजाब विजिलेंस द्वारा जारी आंकड़ों में बताया गया है कि रिश्वत लेते पकडे गए 134 अधिकारियों में से 13 गजटिड अधिकारी और 134 नॉन गजटिड अधिकारी है जबकि 18 अन्य लोगों को रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया है.  विजिलेंस ने बताया है कि रिश्वत खोरी में पकड़े गए आरोपियों में 63 पुलिस विभाग, 28 माल विभाग, 13 बिजली विभाग, 7 स्वास्थ्य विभाग, 6 स्थानीय निकाय विभाग, 5 जल आपूर्ति विभाग, 4 आबकारी एवं कर विभाग और 3 ग्रामीण विकास एवं पंचायत विभाग के अलग-अलग मामलों में पकड़े गए अधिकारी और कर्मचारी है.