नई दिल्ली: कोरोना की दूसरी लहर के दौरान बिगड़े हालात के दौरान अदालत लगातार सरकारों से नाराजगी जता रही है. एक बार फिर कोर्ट ने केंद्र सरकार से नाराजगी जताई है. दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने वैक्सीनेशन (Vaccination) को लेकर केंद्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई है. हाई कोर्ट ने कहा- आपके पास वैक्सीन नहीं हैं तो आप ऐसी घोषणाएं क्यों करते हैं? कोर्ट ने अनाथ हो चुके बच्चों को लेकर भी चिंता जताई है


'भगवान भी हमारी मदद नहीं कर पाएगा'


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दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने केंद्र को फटकार लगाते हुए कहा, इस वक्त हालात ये हैं कि देश के युवाओं को कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) उपलब्ध नहीं हो रही है जबकि उम्रदराज लोगों को वैक्सीन दी जा रही है. हमें समझना होगा कि युवा हमारे देश का भविष्य है उनको सुरक्षित करना भी जरूरी है. वैक्सीनेशन पर दिल्ली हाई कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा, अगर ऐसे ही हालात रहे और हमने खुद कार्रवाई नहीं की तो भगवान भी हमारी मदद नहीं कर पाएगा.


PM केयर्स फंड से मदद पर हलफनामा मांगा


हाई कोर्ट ने कहा कि 80 साल की उम्र के लोग देश को आगे नहीं ले जाएंगे, देश को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी युवा लोगों पर ही है, ऐसे में अगर हमको किसी को सबसे पहले सुरक्षित करना है तो इन युवाओं को ही करना होगा. कोरोना काल के दौरान अनाथ हुए बच्चों के मामले पर भी हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह पीएम केयर्स फंड (PM Cares Fund) से घोषित मदद पर हलफनामा दाखिल करे.


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9 हजार से ज्यादा बच्चे हुए अनाथ


हाई कोर्ट ने कहा, अभी तक राज्यों से मिली जानकारी के मुताबिक 9 हजार से ज्यादा बच्चों ने माता-पिता या दोनों में से एक को खोया है. आज हमने पढ़ा की सरकार अनाथ बच्चों के लिए नीतियां लेकर आई है. यह जरूरत ही क्यों पड़े. एक बच्चे को उतना स्नेह और प्यार किसी से नहीं मिल सकता जो उन्हें अपने पैरंट्स से मिलता है. उनके पैरंट्स को बचाइए. मामले में अगली सुनवाई 7 जून को होगी.


ब्लैक फंगस की दवाओं का बने डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम


कोर्ट ने केंद्र को ब्लैक फंगस के इलाज में दवाओं के वितरण को लेकर नीति तय करने का निर्देश दिया है. हाई कोर्ट केंद्र को ब्लैक फंगस के इलाज में उपयोगी लिपोसोमल एम्फोटेरिसिन बी के डिस्ट्रीब्यूशन के लिये पॉलिसी बनाने एवं मरीजों की प्राथमिकता बताने का निर्देश दिया ताकि सभी नहीं तो, कुछ जिंदगियां बचाई जा सकें. हाई कोर्ट ने कहा कि दवा देते समय यह ध्यान रखा जाए कि जिन के जीवित रहने की बेहतर संभावना है, उन्हें एवं कम उम्र वर्ग के लोगों को, उन वृद्धों की तुलना में प्राथमिकता दी जानी चाहिए, जिन्होंने अपनी जिंदगी जी ली है.


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