Jaipur News: ऑर्गन ट्रांसप्लांट के फर्जी NOC सर्टिफिकेट जारी करने के मामले और धोखाधड़ी कर किडनी निकलने के मामले में जयपुर पुलिस की जांच में रोज नए खुलासे हो रहे हैं. शहर के दो नामी हॉस्पिटल में पिछले 3 महीने में करीब 60 विदेशी नागरिकों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए. इनमें 45 बांग्लादेशी नागरिक शामिल है.
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Jaipur News: ऑर्गन ट्रांसप्लांट के फर्जी NOC सर्टिफिकेट जारी करने के मामले और धोखाधड़ी कर किडनी निकलने के मामले में जयपुर पुलिस की जांच में रोज नए खुलासे हो रहे हैं. पुलिस रिमांड पर चल रहे तीन आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि शहर के दो नामी हॉस्पिटल में पिछले 3 महीने में करीब 60 विदेशी नागरिकों के ऑर्गन ट्रांसप्लांट हुए. इनमें 45 बांग्लादेशी नागरिक शामिल है. पूछताछ में यह भी खुलासा हुआ कि किडनी डोनर और रिसीवर के बीच कोई खून का रिश्ता नहीं था. वे एक दूसरे को नहीं पहचानते थे इसके बावजूद दलाल के माध्यम से मोटी रकम वसूल कर फर्जी एनओसी जारी कर दी गई.
ऑर्गन ट्रांसप्लांट के फर्जी NOC सर्टिफिकेट जारी करने के मामले में एक दिन पहले ही सोमवार को जवाहर सर्किल थाना पुलिस ने आरोपी गौरव सिंह, गिरिराज शर्मा व विनोद सिंह को कोर्ट में पेश कर 3 मई तक चार दिन के रिमांड पर लिया है. जिससे इस संगठित गैंग से गहनता से पूछताछ कर कई अहम खुलासे हो सके. इसके लिए पुलिस ने कई अहम सवालों की एक सूची बनाई है. जिसमें आरोपियों को आमने-सामने और अलग-अलग कर पूछताछ की जा रही है. इनमें गौरव सिंह एसएमएस अस्पताल में ऑर्गन ट्रांस्पलांट विभाग का सहायक प्रशासनिक अधिकारी है. जबकि गिरिराज शर्मा और विनोद सिंह फाेर्टिस अस्पताल के ऑर्गन ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर है.
आपको बता दें कि एसीबी के अलावा जयपुर पुलिस कमिश्नरेट की जवाहर सर्किल थाना पुलिस 2 अलग अलग मुकदमे दर्ज कर केस की पड़ताल कर रही है. केस की जांच एसीपी गांधी नगर गोपाल सिंह ढाका को सौंपी गई है. वहीं जयपुर पुलिस ने पिछले दिनों तीन आरोपियों गौरव सिंह, गिर्राज शर्मा और विनोद सिंह को प्रोडक्शन वारंट पर जेल से गिरफ्तार कर 2 दिन के रिमांड पर लिया था.
सोमवार को रिमांड पूरा होने पर कोर्ट में पेश कर फिर से 3 मई तक रिमांड पर लिया. एसीबी ने इस महीने की शुरुआत में गौरव सिंह व अनिल जोशी के बीच 70 हजार रुपए की रिश्वत के लेनदेन में ट्रेप कार्रवाई कर ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए फर्जी एनओसी जारी करने का मामले का खुलासा किया था.
इसके बाद गुरुग्राम पुलिस ने बांग्लादेशी नागरिक की किडनी जयपुर के नामी अस्पताल में निकालने पर ऑर्गन तस्करी रैकेट का खुलासा किया. इन्हीं मामले में तस्करी का मुकदमा दर्ज किया. एक आईपीएस के नेतृत्व में एसआईटी गठित की गई. लेकिन राजस्थान में मेडिकल विभाग ने जयपुर पुलिस द्वारा केस की जांच के लिए एसआईटी की अनुशंसा को नहीं माना. साथ ही अभी तक सिर्फ रिश्वत के लेनदेन तक ही मामले को माना जा रहा है. किसी ठोस नतीजे पर पुलिस नहीं पहुंच सकी है.
प्रकरण में जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है वैसे-वैसे नित नए खुलासे हो रहे हैं लेकिन देखना होगा कि इस पूरे मामले में पुलिस आगे कार्रवाई करते हुए इस नेक्सस में जुड़े हुए और कितने चेहरों को उजागर करती है. वही इस प्रकरण में बड़ा सवाल यह भी बना हुआ है कि जिन निजी अस्पतालों का नाम जांच में सामने आया है. उन अस्पतालों के मैनेजमेंट से जुड़े हुए लोगों और चिकित्सक व टीम के अन्य सदस्यों पर आखिर कब एक्शन लिया जाता है.