Sheikh Nasiruddin Chirag Delhi: दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले लोग वीकेंड पर दिल्ली घूमने का प्लान बनाते रहते हैं. आपको बता दें कि दिल्ली से सटे इलाकों को दिल्ली-एनसीआर कहा जाता है. दिल्ली में एक बेहद यूनिक जगह है जिसका नाम है चिराग दिल्ली. अक्सर जब लोगों के दिमाग में यह नाम आता है, तब एक न एक बार लोग सोचने को जरूर मजबूर हो जाते हैं कि यह अनोखा नाम इस जगह को कैसे मिला! आपको बता दें कि घूमने के लिए चिराग दिल्ली बेहतरीन जगह है. अगर आप पार्क में सैर-सपाटे के शौकीन हैं तो यह जगह आपके लिए बेस्ट है. चिराग दिल्ली के नाम की पैदाइश को जानने के लिए हमें इतिहास में 700 साल पीछे चलना होगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इस शख्स के नाम पर पड़ा चिराग दिल्ली का नाम


आपको बता दें कि चिराग दिल्ली का नाम हजरत निजामुद्दीन औलिया के सबसे प्रिय शिष्य नसीरुद्दीन महमूद पर रखा गया है. एक वक्त की बात है जब हजरत निजामुद्दीन की दरगाह में एक बावली का निर्माण कराया जा रहा था लेकिन तत्कालीन शासक गयासुद्दीन तुगलक ने इस बावली के बनने पर रोक लगा दी थी.


शासक का तुगलकी फरमान


बादशाह गयासुद्दीन तुगलक के फरमान के खिलाफ जाकर मजदूरों ने रात में बावली के निर्माण कार्य को पूरा करने की ठानी. इसके लिए वो रात में दिए जलाकर बावली का काम पूरा करने लगे लेकिन इस बात की भनक बादशाह को लग गई और उन्होंने मजदूरों को तेल बेचने पर प्रतिबंध लगा दिया और इस तरह बावली का निर्माण कार्य बंद पड़ गया. प्राचीन कथाओं के मानें तो उस दौरान हजरत निजामुद्दीन औलिया ने अपने शिष्य नसीरुद्दीन महमूद को पानी से दिए जलाने का आशीर्वाद दिया. इसके बाद बावली में मौजूद पानी से दिए जलाए गए और इनकी रोशनी में बावली का काम पूरा किया गया, तब नसीरुद्दीन महमूद को चिराग-ए-दिल्ली के नाम से बुलाया गया और उनके नाम पर ही यहां का नाम चिराग दिल्ली पड़ा.


हिंदी ख़बरों के लिए भारत की पहली पसंद ZeeHindi.com - सबसे पहले, सबसे आगे