Delhi MCD Election 2022: नाम है कल्याणपुरी लेकिन हालत है बेहद बुरी! ये हैं दिल्ली चुनाव के बड़े मुद्दे
आगामी दिल्ली एमसीडी चुनाव के मद्देनजर हर वार्ड की जमीनी हकीकत का खुलासा हो रहा है. दिल्ली नगर निगम में अब 250 वार्ड्स कर दिए गए हैं. दिल्ली एमसीडी चुनाव के लिए 4 दिसंबर को मतदान होना है तो वहीं 7 दिसंबर को परिणाम आ सकते हैं.
Delhi MCD Election 2022: आगामी दिल्ली एमसीडी चुनाव के मद्देनजर हर वार्ड की जमीनी हकीकत का खुलासा हो रहा है. दिल्ली नगर निगम में अब 250 वार्ड्स कर दिए गए हैं. दिल्ली एमसीडी चुनाव के लिए 4 दिसंबर को मतदान होना है तो वहीं 7 दिसंबर को परिणाम आ सकते हैं. ऐसे में हर वार्ड का मतदाता अपने अलग-अलग मुद्दों पर वोट देने वाला है. इस बीच हमने कल्याणपुरी और मयूर विहार फेज 2 वार्ड का हाल जानने की कोशिश की. कल्याणपुरी वार्ड.. अपने नाम के विपरीत इस वार्ड की स्थिति खराब है. ऐसे ही मयूर विहार फेज 2 वार्ड के लोग भी समस्याओं से घिरे हुए हैं. आइये आपको बताते हैं इन दोनों वार्ड के लोगों के सामने क्या बड़ी समस्या है और वे इसका निदान कैसे चाहते हैं.
लोगों का क्या कहना है?
कल्याणपुरी में लोगों का मिला-जुला तर्क देखा जा सकता है. लोगों का कहना है कि पार्षद धीरेंद्र उर्फ बंटी ने अपने कार्यकाल में काफी अच्छा काम किया. कूड़े की गाडियां रोज कूड़ा उठाने आती थीं. पार्क्स में भी साफ सफाई थी. लेकिन जबसे दिल्ली एमसीडी का एकीकरण हुआ है तब से लोग बेहद परेशान हैं. वहीं दूसरी ओर एमसीडी के स्कूल्स की हालत ठीक नहीं है. गलियों में जगह-जगह कूड़े का ढेर है. नालियां ब्लॉक्ड हैं, नालियों का कूड़ा सड़क पर आता है. लोग उससे आने वाली दुर्गंध से परेशान हैं.
क्या एमसीडी कर्मचारी आते हैं समय पर?
लोगों के मुताबिक एमसीडी कर्मचारी सही समय पर नहीं आते. पार्क्स की स्थिति ठीक नहीं है. मच्छर मारने वाली दवाइयों का भी छिड़काव नहीं होता. लोग बीमार हैं पर एमसीडी स्वास्थ केंद्र में दवाइयां नहीं हैं. सामने से जवाब आता है कि फंड ही नहीं है तो दवाई कैसे दें.
आखिर कैसी है हालत?
स्वास्थ्य केंद्र से सटा हुआ कूड़े का ढेर मरीजों और राह चलते लोगों को दिक्कत देता है. गलियों में गाय का झुंड है जो कूड़े को इधर-उधर फैला देता है. एमसीडी का पब्लिक टॉयलेट दयनीय हालत में है. गंदगी सड़कों पर आती है, साफ-सफाई का हिसाब देने वाला कोई नहीं है.
किन बीमारियों से ग्रस्त हैं लोग?
लोगों का कहना है कि कूड़े से आ रही जहरीली स्मेल से तमाम बीमारियां हो रही हैं. T.B , अस्थमा, डेंगू, हैजा हो गया है लेकिन कोई निवारण नहीं है. न दवाइयां हैं न कोई मदद. पार्षद उन इलाकों की ही समस्या सुनते हैं जहां से वोट आते हैं और बाकी जगह को दरकिनार कर देते हैं.
सीवरेज की है परेशानी, पर कोई सुनता नहीं!
अब बात करते हैं मयूर विहार फेज 2 इलाके की. यह एक अच्छा रेजिडेंशियल इलाका है, लेकिन ये वार्ड भी दिक्कतों से जूझ रहा है. यहां मुख्य समस्या सीवर की है, नालियां ब्लॉक्ड हो जाती हैं, पानी सड़को पर आता है. लोगों का कहना है कि समय पर कोई सुनवाही नहीं होती.
बना रहता है डेंगू का डर
लोगों ने कहा कि मच्छर मारने की दवाई का छिड़काव ढंग से नहीं होता. यहां के लोग पार्षद से भी नाखुश दिखाई दिए. लोगों ने कहा कि पार्षद ने कुछ काम नहीं किया है. बहुत समय बाद समस्या सुनी जाती है और वो भी केवल कागजी सबूत में ही रह जाती है और कोई निवारण नहीं होता. लोगों के मुताबिक इस वार्ड में 120 पार्क हैं, माली केवल 4 हैं. एमसीडी वर्कर्स किसी निर्धारित समय पर कूड़ा उठाने नहीं आते. कब आते हैं कब जाते हैं, पता ही नहीं चलता. नगर निगम कहता है जलबोर्ड का काम है, तो जलबोर्ड के लोग कहते हैं नगर निगम का काम है.
क्या है लोगों की उम्मीद?
लोग चाहते हैं कि पार्षद जो भी आए वो एक ऐसा व्यक्ति हो, जो लोगों के बारे में सोचे और समय पर दौरा लगाए. उनकी तमाम समस्याओं से उन्हें बस निजात दिलाए.
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