INSIDE STORY: क्यों किया निसान और होंडा ने मर्जर, कितना है मार्केट कैप? क्या बन पाएंगे दूसरी कंपनियों के लिए सिरदर्द
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INSIDE STORY: क्यों किया निसान और होंडा ने मर्जर, कितना है मार्केट कैप? क्या बन पाएंगे दूसरी कंपनियों के लिए सिरदर्द

Honda Nissan Merger News: निसान और होंडा के मर्जर के बाद यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी बन जाएगी. यानी मर्जर से बनी कंपनी केवल टोयोटा और फॉक्सवैगन से पीछे होगी. 

INSIDE STORY: क्यों किया निसान और होंडा ने मर्जर, कितना है मार्केट कैप? क्या बन पाएंगे दूसरी कंपनियों के लिए सिरदर्द

Honda Nisaan Merger: जापान की दो प्रमुख व्हीकल मैन्युफैक्चरिंग कंपनी होंडा और निसान ने मर्जर की घोषणा की है. दोनों कंपनियों ने जून 2025 तक इस डील को फाइनल करने का लक्ष्य रखा है. डील के मुताबिक, दोनों कंपनियों का लक्ष्य अगस्त 2026 में लिस्टिंग के लिए एक सामान्य होल्डिंग कंपनी स्थापित करना है. यानी दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी व्हीकल कंपनी अस्तित्व में आएगी. 
 
चीनी कंपनियों के कड़े टक्कर और फॉसिल फ्यूल से किनारा की वजह से वाहन उद्योग इस समय बड़े बदलाव से गुजर रहा है. वैसे में इन दो बड़ी कंपनियों का साथ आने बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है. होंडा और निसान दोनों ने भारत में कुछ हद तक सफलता का स्वाद चखा है. लेकिन इस सफलता को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है. ऐसे में आइए जानते हैं कि इस विलय से भारत में उनकी संभावनाओं पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

निसान और होंडा का मर्जर क्यों?

1. आर्थिक मजबूती

निसान और होंडा के मर्जर के बाद यह दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी बन जाएगी. यानी मर्जर से बनी कंपनी केवल टोयोटा और फॉक्सवैगन से पीछे होगी. वहीं, जापान में यह कंपनी टोयोटा के वर्चस्व को टक्कर दे सकती है. साथ ही कंपनी की लार्ज स्कैल पहुंच ग्लोबल मार्केट में बढ़ती प्रतिस्पर्धा का बेहतर तरीके से सामना कर सकेगी.

2. चीन फैक्टर

चीन में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है. BYD, Xpeng, Nio और Li Auto जैसी चीनी कंपनियों के कारण जापानी वाहन निर्माताओं की बाजार हिस्सेदारी घट रही है. होंडा और निसान, दोनों को चीन में अपनी बिक्री घटती हुई नजर आ रही है. इसके चलते ये कंपनियां अपनी उत्पादन क्षमता कम करने की योजना बना रही हैं, ताकि चीन में अपने फिक्स्ड कॉस्ट्स को कम किया जा सके.

3. लागत में कटौती

दोनों कंपनियां अपने ब्रांड्स को बरकरार रखते हुए लागत में कमी लाने के लिए साझा वाहन प्लेटफॉर्म और नई हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक कारों पर सहयोग करेंगी. इसके अलावा रिसर्च और डेवलपमेंट को भी साथ लाया जाएगा, ताकि सॉफ़्टवेयर और इलेक्ट्रिक वाहनों के डेवलपमेंट में तेजी लाई जा सके.

4. निसान की फाइनेंशियल क्राइसिस

निसान को हाल ही में वित्तीय संकटों का सामना करना पड़ा है. फ्रांस की कंपनी रेनॉल्ट से अलग होने की घोषणा के बाद निसान को अपनी मार्केट स्कैल वापस पाने की जरूरत है. हाल ही में निसान ने 9,000 नौकरियां खत्म करने और अपनी वैश्विक उत्पादन क्षमता में 20% की कटौती की घोषणा की है. कंपनी को 9.3 अरब येन (60 मिलियन डॉलर से अधिक) का तिमाही नुकसान भी हुआ है.

5. मार्केट और टेक्नोलॉजी में तालमेल

दोनों कंपनियां इस मर्जर से अपनी टेक्नोलॉजी और मार्केट में मौजूदगी का लाभ उठाने की उम्मीद में हैं. निसान यूरोपीय बाजार में मजबूत है, जबकि होंडा अब यूरोप में व्हीकल नहीं बनाती. निसान की बॉडी-ऑन-फ्रेम खासियत है, जबकि होंडा पेट्रोल इंजन बनाने में माहिर है.

इसके अलावा होंडा बैटरी इलेक्ट्रिक सेगमेंट में नई है, जबकि निसान लंबे समय से इस सेक्टर में है. लगभग 15 साल पहले जब कंपनी ने निसान LEAF लॉन्च किया था, तब वह सभी से आगे थी, लेकिन अब वह काफी पीछे हो गई है. इस मर्जर से निसान फिर से ईवी सेक्टर में बादशाहत हासिल कर सकती है.

50 अरब डॉलर से अधिक की कंपनी बनने की संभावना

निसान का फ्रांस की रेनो एसए और मित्सुबिशी के साथ गठजोर है. तीनों वाहन मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के मार्केट वैल्यू के आधार पर मर्जर से 50 अरब डॉलर से अधिक कीमत की एक बड़ी कंपनी बन सकती है. होंडा और निसान के साथ फ्रांस की रेनो एसए और मित्सुबिशी मोटर्स कॉर्प के गठजोर से बनी कंपनी को टोयोटा मोटर कॉर्प और जर्मनी की फॉक्सवैगन एजी को टक्कर देने में मदद मिलेगी.

टोयोटा की जापान की माज्दा मोटर कॉर्प और सुबारू कॉर्प के साथ टेक्नोलॉजी को लेकर पार्टनरशिप है. ऐसे में निसान और होंडा के मर्जर के बाद भी टोयोटा जापान की सबसे बड़ी कंपनी बनी रहेगी. कंपनी ने 2023 में 1.15 करोड़ वाहन बनाए थे. दूसरी ओर निसान, होंडा और मित्सुबिशी मिलकर 80 लाख वाहन बनाएंगी. निसान, होंडा और मित्सुबिशी ने अगस्त में घोषणा की थी कि वे इलेक्ट्रिक वाहन के लिए बैटरी जैसे पार्ट्स को एक दूसरे के साथ शेयर करेंगे.

इस मर्जर का भारत में क्या असर?

दोनों कंपनियों ने भारत में कुछ हद तक सफलता का स्वाद चखा है, लेकिन इसे आगे बढ़ाने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा है. होंडा सिटी मॉडल की मदद से मिड-लेवल सेडान मार्केट में टॉप पर है. लेकिन कंपनी भारतीय कार बाजार के अन्य क्षेत्रों में सेंध लगाने में असफल रही है. कंपनी सिटी हाइब्रिड मॉडल की वजह से भारत में किफायती हाइब्रिड टेक्नोलॉजी में सबसे आगे थी. अब इस सेक्टर में मारुति सुजुकी-टोयोटा काबिज है.

निसान को भी मैग्नाइट मिनी-एसयूवी मॉडल के साथ कुछ सफलता मिली है. लेकिन कंपनी इसका फायदा उठाने या ऐसे मॉडल लॉन्च करने में विफल रही है जो भारतीय बाजार में कस्टमर को रिझा सके. इस मर्जर से दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कार बाजार यानी भारत में दोनों कंपनियों को मदद मिल सकती है.

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