नई दिल्ली: डीएफएस ने राजधानी दिल्ली में साल 2022 के शुरुआती 6 महीनों का एक आंकड़ा जारी किया है, जिसमें 1 जनवरी से 30 जून तक दिल्ली में 10,350 से अधिक आग लगने की घटनाएं देखी गईं, जिसमें 395 लोग घायल हुए और 60 लोगों की जान चली गई. इस दौरान डीएफएस नियंत्रण कक्ष में ऑपरेटरों के द्वारा अलग-अलग समस्याओं के 16,763 कॉल का जवाब दिया गया. 


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डीएफएस नियंत्रण कक्ष में ऑपरेटरों के द्वारा एक जनवरी से 30 जून के बीच 16,763 फोन कॉल का जवाब दिया गया. इन फोन कॉल में से 10,379 आग लगने की घटनाओं के ,1548 कॉल पशुओं का बचाव करने के लिए, 1805 कॉल पक्षियों का बचाव के लिए और अन्य कॉल नदी में डूबने वाले मामलों में किए गए थे.


1 अप्रैल से 30 जून के बीच आग लगने की सबसे अधिक घटनाएं दर्ज की गयीं, जिसकी मुख्य वजह भीषण गर्मी थी.  इस दौरान चिलचिलाती गर्मी और लू की वजह से ये स्थितियां और भयावह हो गईं. इस दौरान अग्निशमन विभाग ने वाणिज्यिक उद्यमों में 340, उद्योगों में 239 और जेजे क्लस्टर में 89 अग्निशमन अभियान भी चलाए. 


मई में दिल्ली के मुंडका इलाके में एक कारखाने में भीषण आग लग गई. जो कि अभी के कुछ सालों में सबसे विनाशकारी आग की घटनाओं में से एक थी. इस घटना में लगभग 27 लोगों की मौत हो गयी और 16 लोग घायल हो गए. घटना इतना भयावह थी कि जान गंवाने वाले लोगों के शरीर भी पहचान में नहीं आ रहे थे. पुलिस को कुछ लोगों की पहचान करने के लिए डीएनए प्रोफाइलिंग का सहारा तक लेना पड़ा था. 


ज्यादातर आग लगने की घटनाओं की वजह लोगों की लापरवाही रही. कुछ मामलों में परिसर में जली हुई सिगरेट छोड़ने आग लग गई, तो वहीं अन्य मामलों में आग लगने का कारण ओवरलोडिंग, शॉर्ट सर्किट या हीटिंग के कारण बिजली के मीटर में कोई खराबी थी. जहां आग की सूचना मिलने वाली अधिकतर जगहों में  'अनापत्ति प्रमाण पत्र' (एनओसी) नहीं था और जिनके पास था, उन्होंने तीन साल की वैधता समाप्त होने के बाद उसे नवीनीकृत नहीं करवाया था.


पश्चिमी दिल्ली के जनकपुरी इलाके में चार मंजिला इमारत में आग लगने के विभाग द्वारा खरीदे गए रोबोट का भी आग बुझाने के लिए इस्तेमाल किया गया था, जिसमें दो महिलाओं सहित पांच लोगों को बचाया गया था. बचाव अभियान के दौरान एक दमकलकर्मी भी आग की चपेट में आकर घायल हो गया.


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