Lal Bahadur Shastri: 2 अक्टूबर को सारा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के साथ ही देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती भी मनाता है. यूपी के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था. देश की आजादी में उनका महत्पूर्ण योगदान माना जाता है. वो कम उम्र में ही पढ़ाई छोड़कर देश को आजादी दिलाने के लिए असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए. 


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असहयोग आंदोलन से अंग्रेजों भारत छोड़ो आंदोलन तक देश के लिए संघर्ष करने वाले लाल बहादुर शास्त्री ने आजादी के बाद भी देश को बचाने के लिए काम करते रहे. साल 1965 में भारत पाकिस्तान के युद्ध के दौरान उनके साहसिक फैसले के लिए आज भी देश उन्हें याद करता है. 


जब लाल बहादुर शास्त्री देश के प्रधानमंत्री बने तब देश कई विपरीत परिस्थितियों से गुजर रहा था. साल 1962 में चीन के साथ भारत का युद्ध हुआ और उसके बाद मौके का फायदा उठाते हुए पाकिस्तान ने भी भारत पर हमला करने की साजिश शुरू कर दी. 


1965 में पाकिस्तान ने कश्मीर को हथियाने के लिए ऑपरेशन जिब्राल्टर चलाया, जो कि पाक पर ही उल्टा पड़ गया. इसके बाद भी पाक नहीं रुका और उसने एक और उसने   
ऑपरेशन ग्रैंड स्लैम शुरू कर दिया. पाकिस्तान की फौज ने जम्मू-कश्मीर के छंब में भारतीय सेना पर तोपों से जबरदस्त हमला कर दिया. इस जगह हमले का मतलब था कि कश्मीर भारत से अलग हो गया. इसे रोकने के लिए पहली बार देश ने युद्ध को बढ़ाने का फैसला लिया. 


छंब के हालात देखते हुए सेनाध्यक्ष जनरल जे एन चौधरी ने एयर मार्शल अर्जन सिंह से एयरफोर्स की मांग की और रक्षा मंत्री वाई बी चव्हाण से पाकिस्तान के खिलाफ एयरफोर्स के इस्तेमाल की इजाजत मांगी. स्थिति को देखते हुए रक्षामंत्री ने इसकी परमिशन दे दी. 


लाल बहादुर शास्त्री की रणनीति की वजह से देश में ऐसा पहली बार हुआ जब न सिर्फ जम्मू-कश्मीर के इलाके से भारतीय सेना ने पाक को धूल चटाई बल्कि पाकिस्तान में घुसकर लाहौर पर हमला भी किया. उस वक्त पाकिस्तान का दाव उसी पर उल्टा पर गया और उसके लिए लाहौर बचाना मुश्किल हो गया था.