रोहतक: हर महीने के आखिरी रविवार को देश में करीब 23 करोड़ लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'मन की बात' कार्यक्रम से जुड़ते हैं. 65 प्रतिशत श्रोता इसे हिंदी में सुनना पसंद करते हैं. एक सर्वे के मुताबिक 100 करोड़ से अधिक लोग कार्यक्रम को कम से कम एक बार सुन चुके हैं, जबकि लगभग 41 करोड़ सामयिक श्रोता हैं. यह सर्वे रोहतक के आईआईएम संस्थान ने किया है. यह वही संस्थान है, जिसने कोविड-19 के सर्वे में भी सटीक आंकड़े दिए थे.


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आईआईएम रोहतक (IIM Rohtak) के निदेशक धीरज पी शर्मा ने बताया कि जो सर्वे किया गया उससे निकलकर जो परिणाम सामने आए हैं, उसके मुताबिक  हर बार करीब 23 करोड़ लोग मन की बात कार्यक्रम को सुनते हैं, जबकि लगभग 40 करोड़ लोग कभी-कभी सुनते हैं. 96% लोगों को यह पता है कि मन की बात कोई कार्यक्रम है. कुल श्रोताओं में से 44.7 प्रतिशत टीवी पर कार्यक्रम को देखते हैं, जबकि 37.6 प्रतिशत मोबाइल पर सुनते हैं. 


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हर राज्य में 10 हजार लोगों से ली गई राय 
आईआईएम रोहतक के छात्रों द्वारा किए गए सर्वेक्षण में देश के हर राज्य में 15 साल से ऊपर के 10-10 हजार लोगों से सीधी बात की गई है. उनका कहना है कि कार्यक्रम में कुछ और सटीकता लाई जाए तो यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है. सर्वे के मुताबिक 18 प्रतिशत लोगों ने कार्यक्रम को अंग्रेजी में, 4 प्रतिशत ने उर्दू में और 2 प्रतिशत ने डोगरी और तमिल में सुनना पसंद किया. अन्य भाषाओं जैसे मिजो, मैथिली, असमिया, कश्मीरी, तेलुगु, उड़िया, गुजराती और बंगाली के 9 प्रतिशत श्रोता हैं. सर्वेक्षण में पाया गया कि 73 प्रतिशत लोग सरकार के कामकाज और देश की प्रगति के प्रति आशावादी दिखे. 


इन विषयों पर चर्चा की गई पसंद 
58 प्रतिशत ने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में उनके रहन सहन की स्थिति में सुधार हुआ. कम से कम 59 प्रतिशत ने सरकार में विश्वास बढ़ने की बात कही. सर्वेक्षण में पाया गया कि 'मन की बात' कार्यक्रम का सबसे लोकप्रिय विषय भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियां, आम नागरिकों की कहानियां, सशस्त्र बलों की वीरता, युवाओं से जुड़े मुद्दे, पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधन रहे हैं.


मन की बात जन आंदोलन का सबसे बड़ा उदाहरण 
बॉलीवुड स्टार बुधवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 'मन की बात' कार्यक्रम परिवर्तनकारी बदलाव और जन आंदोलन का सबसे बड़ा उदाहरण है. 'मन की बात @ 100' पर एक दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान आमिर खान खान ने कहा कि इतने बड़े देश के नेता के रूप में प्रधानमंत्री के लिए यह अनिवार्य है कि वह लोगों से बात करें और उन्हें बताएं कि उनके दिमाग में क्या चल रहा है. उन्होंने कहा कि 'मन की बात' की सफलता का कारण यह है कि प्रधानमंत्री ने सीधे जनता से जुड़ने का प्रयास किया. 


उन्होंने कहा कि यह पहल महत्वपूर्ण थी, क्योंकि इसने लोगों में विश्वास में लिया, उन्हें दृष्टि और दिशा दी और एक जन आंदोलन की शुरुआत हुई और यह भी इसलिए हुआ क्योंकि प्रधानमंत्री जनता से जुड़ना चाहते थे. इसके पीछे एक भावना थी और यही कारण है कि लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी पर विश्वास किया और भरोसा किया.


इनपुट: राज टाकिया