प्रियंका कक्कड़ ने कहा भाजपा ने गलत सूचना फैलाने की कोशिश की, अरविंद केजरीवाल के आदेश के अनुसार पेड़ काटे गए. अगर उनके पास ऐसा कोई दस्तावेज है, तो उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं पेश किया ?. भाजपा को सुप्रीम कोर्ट से झूठ बोलना बंद करना चाहिए
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Delhi News: आम आदमी पार्टी ने शनिवार को दिल्ली के उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आरोप लगाया कि उन्होंने सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए राष्ट्रीय राजधानी के रिज के एक इको सेंसिटिव जोन में हजारों पेड़ों को काटने का आदेश दिया.
आप की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने साधा भाजपा पर निशाना
आप की राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने आरोप लगाते हुए कहा कि पर्यावरण के संबंध में भाजपा की "खराब नीतियों" के कारण, देश पर्यावरण प्रदर्शन सूचकांक पर 180 देशों में से 180वें स्थान पर आ गया है. यह दक्षिणी रिज में दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) द्वारा पेड़ों की अवैध कटाई की खबरों के बीच आया है. प्रियंका कक्कड़ ने कहा, जबकि आप दिल्ली में हरित क्षेत्र बढ़ाने की कोशिश कर रही है, भाजपा के एलजी ने सभी नियमों का उल्लंघन करते हुए, एक इको-सेंसिटिव जोन में तकरीबन हजारों पेड़ों को काटने का आदेश दिया गया है.
भाजपा ने फैलाई गलत सूचना
भाजपा ने गलत सूचना फैलाने की कोशिश की, अरविंद केजरीवाल के आदेश के अनुसार पेड़ काटे गए. उन्होंने कहा, अगर उनके पास ऐसा कोई दस्तावेज है, तो उन्होंने इसे सुप्रीम कोर्ट में क्यों नहीं पेश किया ?. भाजपा को सुप्रीम कोर्ट से झूठ बोलना बंद करना चाहिए और उन्हें लोगों को गुमराह करने की वजाय जवाब देना चाहिए.
इससे पहले, दिल्ली के दक्षिणी रिज में 1100 पेड़ों की अवैध कटाई को मद्देनजर रखते हुए कैबिनेट मंत्री सौरभ भारद्वाज, आतिशी और इमरान हुसैन की तीन सदस्यीय तथ्य खोज समिति का गठन किया गया था. एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि 26 जून को वन विभाग के अधिकारियों के साथ हुई. बैठक के दौरान पर्यावरण और वन मंत्री को बताया गया कि दक्षिणी रिज में दिल्ली विकास प्राधिकरण द्वारा पेड़ों की अवैध कटाई के माध्यम से वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 और दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम, 1994 का उल्लंघन हुआ है.
दिल्ली सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए नोटिस जारी किया है. सरकार को 11 जुलाई तक तथ्यात्मक रिपोर्ट अदालत को सौंपनी है. वहीं दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने वन विभाग की रिपोर्ट मांगी थी, लेकिन अधिकारी मेडिकल अवकाश पर चले गए, जिसके बाद तथ्यान्वेषी समिति गठित की गई.