Haryana News: इस वर्ष वैज्ञानिकों ने गेहूं की सात और जौ की एक नई किस्म इजाद की है. इन नई किस्मों को सिंचित एवं सीमित सिंचाई के हिसाब से अलग-अलग इजाद किया गया है. दिल्ली, हिसार, करनाल और छत्तीसगढ़ में वैज्ञानिकों ने इन किस्मों की खोज की और इसी वर्ष से इनका बीज किसानों को उपलब्ध कराया जाएगा. भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल की अगुवाई में महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय उदयपुर में आयोजित 62वीं कार्यशाला में इन किस्मों की घोषणा की गई है.


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गेहूं की नई किस्म की पहचान
उत्तर पश्चिमी मैदानी भागों में सिंचित एवं समय से बुआई के लिए गेहूं की एचडी 3386 किस्म की पहचान की गई. इस किस्म को भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा दिल्ली की ओर से खोजा गया है. इसके साथ ही सीमित सिंचाई के साथ गेहूं की फसल के लिए डब्ल्यूएच 1402 की पहचान की गई. इसकी खोज हिसार कृषि विश्वविद्यालय की ओर से की गई है.


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112.7 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन 
राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र करनाल के निदेशक डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि उत्तर पूर्वी मैदानी भागों में सिंचित एवं समय से बुआई के लिए गेहूं की एचडी 3388 किस्म की पहचान की गई. इसे भी भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान पूसा (दिल्ली) की ओर से खोजा गया है. इसके साथ ही भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल की ओर से कर्ण शिवानी डीबीडब्ल्यू 327 की किस्म को ईजाद किया गया. सीमित सिंचाई के लिए डीबीडब्ल्यू 359 को भी भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने इजाद किया है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष व्यवसायीकरण के लिए गेहूं की पांच नई किस्में डीबीडब्ल्यू-370, डीबीडब्ल्यू-371, डीबीडब्ल्यूए-372, डीबीडब्ल्यूए-316 और डीडीडब्ल्यू-55 का व्यवसायीकरण हो जाएगा. यह किस्में किसानों को उपलब्ध होंगी. यह सभी किस्में भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल ने खोजी हैं. संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि आने वाले समय में संस्थान अपने अनुसंधान विकास और प्रचार कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों के लिए गेहूं और जौ के उत्पादन मूल्य संख्या में सुधारने के लिए निरंतर प्रयास करता रहेगा. इसके साथ ही डॉक्टर ज्ञानेंद्र सिंह ने कहा कि उन्होंने पिछले वर्ष 112.7 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य हासिल किया है जो एक रिकॉर्ड है.


INPUT- KAMARJEET SINGH