Arvind Kejriwal ED News: दिल्ली के कथित शराब नीति घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय का एक्शन जारी है. इस मामले में ED अब तक 15 आरोपियों को गिरफ़्तार कर चुकी है. इनमें दिल्ली में शराब सप्लाई करने वाली वाइन कंपनी के साथ ही आम आदमी पार्टी के मनीष सिसोदिया, संजय सिंह और बीआरएस की नेता के. कविता भी शामिल हैं. दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल इस कथित घोटाले में अरेस्ट होने वाले 16वें शख्स हैं. माना जा रहा है कि गिरफ्तारी का यह सिलसिला अभी रुकने वाला नहीं है और आने वाले दिनों कई अन्य लोगों की भी गिरफ्तारी हो सकती है.  


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सबसे पहले आपको इस मामले में गिरफ्तार होने वाले लोगों के बारे में बताते हैं. जिससे आपको पता चलेगा कि ईडी इस मामले में धीरे- धीरे अपना शिकंजा कैसे कसती जा रही है. 


गिरफ़्तार आरोपियों के नाम


1. विजय नायर


2. अभिषेक बोइनपल्ली


3. समीर महेंद्रू


4. पी सरथ चंद्रा


5. बिनोय बाबू


6. अमित अरोड़ा 


7. गौतम मल्होत्रा 


8. राघव मंगुटा


9. राजेश जोशी


10. अमन ढाल


11. अरूण पिल्लई


12. मनीष सिसोदिया 


13. दिनेश अरोड़ा 


14. संजय सिंह


15. के. कविता


सिमट गए हैं केजरीवाल के कानूनी विकल्प


कानूनी जानकारों के मुताबिक ईडी के हाथों गिरफ्तारी के बाद अरविंज केजरीवाल के पास कानूनी बचाव के विकल्प सीमित हो गए हैं. उन्हें सीधे SC से राहत मिल पाएगी, इसकी संभावना नहीं है. उनके पास कानूनी राहत का पहला विकल्प होगा कि वो ज़मानत की अर्जी लगाएं. जमानत के लिए उन्हें पहले निचली अदालत का रुख करना होगा. 


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कहीं संजय सिंह की तरह न हो जाए अंजाम?


दूसरा विकल्प ये रहेगा कि वो गिरफ्तारी की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए गिरफ्तारी को HC /SC में चुनौती दे. इन विकल्प को इससे पहले संजय सिंह ने आजमाया है. संजय सिंह की जमानत अर्जी निचली अदालत और HC से खारिज होने के बाद SC में पेंडिंग है. गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली संजय सिंह की दूसरी अर्जी भी HC से खारिज होने के अब SC में पेंडिंग है.


चुनौतियों से बाहर कैसे निकलेंगे सीएम केजरीवाल?


ऐसे में माना जा रहा है कि मनीष सिसोदिया और संजय सिंह की तरह अरविंद केजरीवाल को भी लंबे वक्त तक जेल के सींखचों के पीछे रहना पड़ सकता है. उन्हें शराब घोटाले में रिहाई मिलेगी या नहीं, यह भी स्पष्ट नहीं है. ऐसे में उनके लिए आने वाला वक्त अब बेहद मुश्किलों भरा रहने वाला है. इसके साथ ही आम आदमी पार्टी को देश में बीजेपी का विकल्प बनाने की उनका मिशन भी अधूरा पड़ सकता है. देखना होगा कि केजरीवाल इन चुनौतियों से कैसे बाहर निकल पाते हैं.