केजरीवाल के LG से कड़े सवाल, बोले- बिना परामर्श हज कमेटी का गठन कैसे कर लिया? कृपया स्पष्ट करें
अरविंद केजरीवाल ने MCD विवाद को लेकर एलजी को कड़े शब्दों में एक और पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने कहा कि क्या आप चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर अब सीधे दिल्ली सरकार चलाएंगे? संविधान में केंद्र और सभी राज्य सरकारें राष्ट्रपति और राज्यपाल के नाम से चलाने का प्रावधान है.
नई दिल्लीः मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने MCD विवाद को लेकर आज एलजी को कड़े शब्दों में एक और पत्र लिखा है. सीएम अरविंद केजरीवाल ने पत्र के जरिए एलजी से पूछा है कि क्या आप चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर अब सीधे दिल्ली सरकार चलाएंगे? संविधान में केंद्र और सभी राज्य सरकारें राष्ट्रपति और राज्यपाल के नाम से चलाने का प्रावधान है. इसी तरह (GNCTD) एक्ट में उपराज्यपाल के नाम पर सरकार चलाने का प्रावधान है.
सवाल यह है कि क्या दिल्ली में एलजी की तरह अब केंद्र/राज्यों में भी निर्वाचित सरकारों को दरकिनार कर राष्ट्रपति/राज्यपाल ही सरकार चलाएंगे? आपके कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि DMC एक्ट में एलजी/प्रशासक हैं. इसलिए आपने चुनी सरकार को दरकिनार कर MCD में एल्डरमैन को मनोनीत किया. सीएम ने पत्र में कहा है कि DMC एक्ट एक स्थानांतरित विषय है. भले ही एक्ट में इस्तेमाल शब्द ‘एलजी/प्रशासक’ हों, लेकिन एलजी इस विषय पर मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं.
सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों के अनुसार भी ‘एलजी/प्रशासक’ तीन आरक्षित विषयों को छोड़कर सभी मामलों में मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं. यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है और दिल्ली के लोग यह जानना चाहेंगे कि इस विषय पर आपकी क्या समझ है? केजरीवाल ने एलजी कार्यालय द्वारा जारी किए गए बयान का जवाब देते हुए उनको एक पत्र लिखा है. सीएम ने अपने पत्र को ट्वीट कर कहा है कि एलजी कार्यालय ने एक बयान जारी किया है कि माननीय एलजी ने सीधे 10 एल्डरमेन और पीठासीन अधिकारी नियुक्त किए, क्योंकि DMC अधिनियम में लिखा है कि ‘नियुक्ति प्रशासक करेगा’ इस विषय पर माननीय एलजी को मैंने पत्र लिखा है.
अरविंद केजरीवाल ने एलजी को लिखे पत्र में कहा है कि मुझे आज आपके कार्यालय द्वारा जारी एक बयान मिला है, जिसमें कहा गया है कि चूंकि यह DMC अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों में लिखा गया है कि ‘नियुक्ति प्रशासक करेगा’ इसलिए, मेयर के चुनाव के लिए 10 एल्डरमेन (मनोनीत सदस्य) और पीठासीन अधिकारी को सीधे नियुक्त किया गया है और निर्वाचित सरकार की भागीदारी के बिना आपके द्वारा सूचित किया गया.
सीएम ने पत्र में आगे कहा है कि क्या हम यह मान सकते हैं कि यह आपकी आधिकारिक स्थिति है कि कहीं भी, किसी भी कानून या संविधान में यह लिखा है कि ‘एलजी/प्रशासक होगा’ या जहां भी सरकार को ‘एलजी/प्रशासक’ के रूप में परिभाषित किया गया है, उन सभी मामलों में माननीय उपराज्यपाल अब से निर्वाचित सरकार की अनदेखी करते हुए ईओ-नॉमिनी और अपने विवेक से शक्तियों का प्रयोग करेंगे? अगर ऐसा हुआ तो दिल्ली की चुनी हुई सरकार अप्रासंगिक हो जाएगी, क्योंकि व्यावहारिक रूप से हर कानून और हर प्रावधान में ‘प्रशासक/उपराज्यपाल’ शब्द का इस्तेमाल किया जाता है और ‘उपराज्यपाल/प्रशासक’ के नाम पर मंत्रिपरिषद काम करती है.
सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न निर्णयों के अनुसार, ‘एलजी/प्रशासक’ तीन आरक्षित विषयों को छोड़कर सभी मामलों में मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं. DMC अधिनियम में भले ही ‘एलजी/प्रशासक’ शब्द का प्रयोग किया गया हो, लेकिन एलजी इस विषय पर मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधे हैं. आपके कार्यालय से जारी बयान में कहा गया है कि चूंकि DMC अधिनियम में प्रयुक्त शब्द ‘एलजी/प्रशासक’ हैं. इसलिए आपने उन शक्तियों का सीधे प्रयोग किया और चुनी हुई सरकार को इस मामले से दूर रखा. जबकि पिछले 30 वर्षों से इस अधिनियम के तहत शक्तियों और इन प्रावधानों का हमेशा मंत्रिपरिषद द्वारा प्रयोग किया जाता था.
सीएम ने पत्र में लिखा है कि कृपया स्पष्ट करें कि क्या अब से कहीं भी, किसी भी कानून या संविधान में जहां यह लिखा है कि ‘उपराज्यपाल/प्रशासक’ या जहां भी सरकार को ‘उपराज्यपाल/प्रशासक’ के रूप में परिभाषित किया गया है, उन सभी मामलों में माननीय एलजी निर्वाचित सरकार की अनदेखी करते हुए सीधे ईओ-नॉमिनी और अपने विवेक से शक्तियों का प्रयोग करेंगे? GNCTD अधिनियम की धारा 21(3) सरकार को ‘एलजी’ के रूप में परिभाषित करती है.
क्या इसका मतलब यह है कि अब से आप सभी हस्तांतरित विषयों पर भी चुनी हुई सरकार को दरकिनार कर सीधे दिल्ली सरकार चलाएंगे? कृपया स्थिति स्पष्ट करें. पत्र में आगे कहा है कि यदि आप अपने इस फैसले को सही मानते हैं तो भारत के प्रधानमंत्री और सभी मुख्यमंत्री अप्रासंगिक हो जाएंगे, क्योंकि सभी कानूनों और संविधान में ‘राष्ट्रपति/राज्यपाल’ शब्द का प्रयोग किया जाता है, न कि प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री का.
सीएम अरविंद केजरीवाल ने पत्र के अंत में कहा है कि यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय है और दिल्ली के लोग यह जानना चाहेंगे कि इस विषय पर आपकी क्या समझ है? आपके कार्यालय से जारी बयान इस बात पर कुछ नहीं कहता है कि आपने चुनी हुई सरकार से बिना परामर्श लिए सीधे हज कमेटी का गठन कैसे कर लिया? कृपया यह भी स्पष्ट करें.