Asian Games 2023 Indian Hockey Team: सोनीपत की तीन बेटियों ने भारतीय महिला हॉकी टीम में खेलते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया है और वहीं पूरी टीम की मेहनत रंग लाई है. भारतीय महिला हॉकी टीम ने जापान को दो एक से हराकर जीत दर्ज की.
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Sonipat News: सोनीपत की तीन बेटियों ने एशियन गेम्स में भारतीय महिला हॉकी टीम में खेलते हुए बेहतरीन प्रदर्शन किया है और पूरी टीम की मेहनत रंग लाई है. भारतीय महिला हॉकी टीम ने जापान को दो-एक से हराकर जीत दर्ज की है. जहां नेहा गोयल के घर में जीत का जश्न मनाया जा रहै है तो वहीं निशा वारसी के घर में मां की कमी के खलते जीत अधूरी लग रही है. पिता ने बेटी को सेमीफाइनल में भी मनोबल दिया था और वहीं निशा ने अपनी मां के खोने के दर्द को भी एक तरफ रखकर राष्ट्र हित में महिला हॉकी टीम में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. पूरा देश से बेटियों को बधाई दे रहा है. वहीं हॉकी मैदान में पर भी बेटियों ने विक्ट्री साइन बनाकर उन्हें बधाई दी है और तीनों बेटियों को अपना आइडल बताया है.
एशियन गेम में भारतीय महिला हॉकी टीम ने जापान के साथ खेलते हुए 2-1 विजय हासिल की है और जापान को करारी शिकस्त दी है. वहीं भारतीय महिला हॉकी टीम में सोनीपत की तीन बेटियों ने प्रतिनिधित्व किया है, जिसमें नेहा गोयल, निशा वारसी और मोनिका मलिक ने भारतीय महिला हॉकी टीम में बेहतरीन प्रदर्शन किया है. पूरी टीम के साथ तीनों बेटियों के प्रदर्शन को लेकर सोनीपत में नेहा गोयल के घर जशन बनाया गया है. वहीं सोनीपत के इंडस्ट्री एरिया में प्रीतम सिवाच कोच के सानिध्य में पहली बार तीनों बेटियों ने कच्चे मैदान से हॉकी की शुरुआत की थी.
आज भी इस मैदान पर सैकड़ो बेटियां फ्री ट्रेनिंग प्राप्त करती हैं. तीनों बेटियों के उम्दा प्रदर्शन को लेकर जूनियर खिलाड़ियों ने अपने सीनियर खिलाड़ियों को जीत के लिए बधाई दी है. वहीं तीनों खिलाड़ियों को अंतर्राष्ट्रीय पटल पर पहुंचने के लिए खिलाड़ियों ने क्रेडिट कोच प्रीतम सिवाच को दिया है. वहीं मैदान पर छोटे-छोटे बच्चों ने विक्ट्री साइन बनाकर जीत की खुशी जाहिर की है. वहीं नेहा गोयल की मां ने कहा है कि उन्हें बेहद खुशी है, पूरी टीम ने बहुत ज्यादा मेहनत की है. टीम द्वारा कांस्य पदक जीतने पर सोनीपत में नेहा गोयल के घर मिठाइयां बांटी जा रही है.
वहीं नेहा गोयल की बहन ने भी बताया है कि आज नेहा के इस मुकाम पर पहुंचने के पीछे मां का बड़ा हाथ है. उनकी मां ने दूसरों के घरों में काम करके नेहा को आज यहां तक पहुंचा है और आज उनकी इस उपलब्धि को लेकर पूरे परिवार और देश में खुशी की लहर है.
वहीं निशा वारसी अपनी मां की बहुत ज्यादा लाडली बेटी है, लेकिन 2 जुलाई को ब्रेन कैंसर के चलते मां दुनिया से अलविदा कह गई. एक तरफ जहां एशियन गेम की तैयारी चल रही थी तो दूसरी तरफ बेटी अपनी मां को अपने आंखों के सामने दूर होता हुआ देख रही थी. मां के चले जाने का दर्द उसके दिलों दिमाग में लगातार देखने को मिल रहा था, लेकिन देश की खातिर मेडल लाने के लिए भारतीय महिला हॉकी टीम में निशा वारसी ने अपने दर्द को आगे नहीं आने दिया और विरह की उसे आग में देश की खातिर मेडल लाने के लिए पूरी ताकत झोंक दी. ऐसे में भारत में जहां बेटे ही नहीं बल्कि बेटियां भी बड़े बलिदान देती हैं और निशा वारसी ने भारतीय महिला हॉकी टीम में खेलते हुए एक मिसाल कायम की है..
निशा वारसी के पिता शोराब ने बताया कि पूरी टीम ने बहुत अच्छा खेल दिखाया है. उनकी बेटी को खेलते हुए काफी लंबा समय हो गया है और उन्होंने अपना अनुभव के हिसाब से काफी अच्छा खेल खेला है. पिता ने बताया कि निशा वारसी 50 से ज्यादा हॉकी के राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेल चुकी हैं. वहीं पिता ने कहा है कि ओलंपिक के लिए भी बेटियां मेडल लेकर आएंगे. इसके लिए भी उन्हें उम्मीद है. पिछली बार सेमीफाइनल मैच हारने के बाद निशा वारसी नर्वस नजर आ रही थी. पिता ने मनोबल दिया और आगे बढ़ने का हौसला दिया. वहीं दूसरी तरह पर 2 जुलाई को निशा की मां ब्रेन कैंसर के चलते दुनिया से अलविदा कह गई. इसी के चलते निशा वारसी स्ट्रेस में भी नजर आ रही थी. वहीं निशा के पिताजी ने यह भी बताया कि निशा के अच्छे खेल के लिए सुबह 3:00 बजे उठकर कई घंटे तक अरदास करती थी और निशा अपनी मां की सबसे ज्यादा लाडली थी. देश की खातिर मेडल लाने के लिए अपने सभी दर्दों को भुला दिया और जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी.
Input: Sunil Kumar