स्लम एरिया के बच्चों में दिखा स्वतंत्रता सेनानियों का अक्स, मांगी सामाजिक कुरीतियों से आजादी
Azadi Ka Amrit Mahotsav : कार्यक्रम में शामिल बच्चों ने देश को एक स्पष्ट संदेश दिया कि अगर आजादी के अमृत महोत्सव को सफल बनाना है तो समाज में घर भीतर तक जड़ें जमा चुकी कुरीतियों के खिलाफ लड़ना होगा.
नई दिल्ली : पूरा देश आजादी के 75 साल पूरे होने पर अमृत महोत्सव मना रहा है. इस बीच देश की आन-बान और शान कहे जाने वाले राष्ट्रपति भवन से करीब 5 किलोमीटर की दूरी पर बसे स्लम एरिया संजय कैंप के बच्चों ने कुछ ऐसा किया, जिससे दिल्ली ही नहीं, पूरा देश गौरवान्वित महसूस कर रहा है.‘हर घर तिरंगा’ अभियान के बीच यहां के 75 बच्चों ने 75 स्वतंत्रता सेनानियों की बड़ी तस्वीरें लेकर सामाजिक बुराइयों के खिलाफ बिगुल फूंककर आजादी का जश्न मनाया.
यह अपने आप में अलौकिक और अद्भुत दृश्य था, जब एक बार फिर आजादी के दौर का मंजर हमारे सामने आ गया. इसे देखकर ऐसा लगा जैसे जवाहर लाल नेहरू, महात्मा गांधी, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, लाला लाजपत राय और हेडगेवार स्वतंत्रता के 75 साल बाद खुद सामने आकर हमें आजादी का महत्व समझा रहे हों.
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कार्यक्रम का आयोजन कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन के बाल मित्र मंडल (बीएमएम) ने किया था. कार्यक्रम के दौरान 75 बच्चों के देशभक्ति के नारों से वातावरण गुंजायमान हो गया. बच्चों ने अपनी प्रस्तुति से देश की आजादी में महापुरुषों के योगदान की कहानी को हिंदुस्तान की आबोहवा में बिखेर दिया. इस दौरान बच्चों ने सामाजिक बुराइयों-जैसे बालश्रम, बाल शोषण, बाल विवाह और बाल दुर्व्यापार के के खिलाफ एकजुट होकर काम करने का प्रण लिया. कार्यक्रम में शामिल बच्चों की उम्र 11 से 16 साल थी. उक्त बुराइयों से इसी उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित होते हैं. इस मौके पर बच्चों ने साफ पेयजल,स्वास्थ्य सुविधाएं और स्वच्छ वातावरण मुहैया करने की मांग भी की.
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बाल अधिकार रोकने का संकल्प लिया
कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन्स फाउंडेशन (kailash satyarthi children foundation) के कार्यकारी निदेशक राकेश सेंगर ने कहा, इस कार्यक्रम का मकसद हमारे देश के महान क्रांतिकारियों के योगदान की याद दिलाना है. साथ ही स्लम एरिया में रहने वाले बच्चों के अधिकारों को लेकर जागरूकता फैलाना है. कार्यक्रम में शामिल बच्चों का कहना था कि आज जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं तो हमें अपने स्वतंत्रता सेनानियों और उनके योगदान का नहीं भूलना चाहिए. साथ ही बच्चों के प्रति किसी भी अपराध को रोकने का संकल्प लेना चाहिए.