Bajrangi Bhaijaan: हरियाणा के SI है असल जिंदगी के बजरंगी भाईजान, 740 बच्चों को मिलवा चुके हैं उनके परिवार से
Bajrangi Bhaijaan: चंडीगढ़ पुलिस के SI राजेश कुमार असल जिंदगी का बजरंगी भाईजान है. जिस तरह इस फिल्म में हीरो अपने परिवार से बिछड़ी एक बच्ची को तमाम मुश्किलों को पार करते हुए उसके परिवार से मिलाता है. कुछ इसी तरह का काम राजेश कुमार असल जिंदगी में करते हैं और यह अब तक करीब 740 बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवा चुके हैं.
Bajrangi Bhaijaan: चंडीगढ़ पुलिस के SI राजेश कुमार असल जिंदगी का बजरंगी भाईजान कहा जाए तो गलत नहीं होगा, जिस तरह इस फिल्म में हीरो अपने परिवार से बिछड़ी एक बच्ची को तमाम मुश्किलों को पार करते हुए उसके परिवार से मिलाता है. कुछ इसी तरह का काम राजेश कुमार असल जिंदगी में करते हैं और यह अब तक करीब 740 बच्चों को उनके माता-पिता से मिलवा चुके हैं.
Zee मीडिया से बात करते हुए राजेश कुमार ने बताया कि वह यह काम 2016 से कर रहे हैं. वह एक बार किसी बच्चे को ढूंढने के लिए एक चाल्ड्रन केयर इंस्टीट्यूशन (सीसीआई) में गए थे तो वहां पर कई बच्चों ने उनसे पूछा कि क्या उन्हें उनके माता-पिता मिल गए हैं. उन बच्चों की बातें सुनकर उनका दिल पसीज गया और तब से वह इस काम में पूरी तरह से जुट गए.
अब तक हुई करीब 740 बच्चों को ढूंढ कर उनके परिवारों से मिला चुके हैं. यह बच्चे ने सिर्फ हरियाणा बल्कि पूरे देश के अलग-अलग राज्यों से उन्होंने ढूंढे हैं उनके माता-पिता तक पहुंचाया है. कई ऐसे बच्चे भी हैं जो 10 से 15 साल पहले अपने माता-पिता से बिछड़े थे और उन्हें अपने माता-पिता या अपने जन्म स्थान के बारे में कुछ भी याद नहीं था, लेकिन उन्होंने आंसू छोटी-छोटी बातें पूछ कर उन बातों के आधार पर उन जगहों को ढूंढा और उनके माता-पिता को ढूंढ निकाला.
ऐसा ही राजेश कुमार कहते हैं कि जब भी उन्हें कोई सा बचा लेता है जो अपने माता-पिता से गुजर चुका है तो उस बच्चे से छोटी-छोटी बातें पूछते हैं जैसे अपने घर में रहते हुए वे लोग क्या खाते थे कैसे कपड़े पहनते थे या उनकी भाषा का कोई शब्द इस तरह की बातों को पहचान कर वे सबसे पहले उस जगह को ढूंढते हैं उसके बाद बच्चे के परिवारों को ढूंढा जाता है.
हाल ही में उन्होंने एक ऐसे बच्चे को उसके माता-पिता से मिलवाया जो अपने परिवार से करीब 10 साल पहले बिछड़ गया था, लेकिन अब उन्होंने इस बच्चे को उसके माता-पिता के पास सकुशल पहुंचा दिया है. उन्होंने कहा कि एक बच्चा उन्हें रेलवे स्टेशन पर मिला. उसकी उम्र डेढ़ से 2 साल की थी. उसके पास एक थैली पड़ी थी उस थैली में एक डायपर था जो एक लोकल कंपनी का था. उस डायपर पर के आधार पर उन्होंने छानबीन शुरू की और उसके माता-पिता को ढूंढ निकाला.
ये भी पढ़ेंः Ghaziabad Crime: PG में मिला फंदे से लटका छात्रा का शव, पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने बदला जांच का एंगल
एक अन्य मामले में एक लड़की जो अपने माता-पिता से 18 साल पहले हुई थी और वह दिल्ली में रह रही थी. उसे अपने माता-पिता या अपने शहर के बारे में कुछ पता नहीं था. जब मैंने उस लड़की से बात की तब उस लड़की ने बताया कि उसे सिर्फ इतना याद है क्योंकि घर के आस-पास धागे पड़े रहते थे. इस बात से उन्हें छानबीन शुरू की और पानीपत में धागों की फैक्ट्रियों के आसपास पता किया पानीपत में उसके माता पिता मिल गए.
एएसआई राजेश कुमार ने बताया कि उनकी यह मुहिम अभी जारी है. उन्होंने अपने फेसबुक पेज भी बनाया हुआ है जिस पर लोग उनसे उनके बच्चों को ढूंढने की गुहार भी लगाते हैं और वह उन लोगों की बातों के आधार पर भी उनके बच्चों को ढूंढने की कोशिश करते हैं. हाल ही 10 साल पहले बिछड़े जिस बच्चे को उसके माता-पिता से मिलवाया गया है. उसके शार्ट स्क्रिप्ट के साथ भेजे जा रहे हैं.
(इनपुटः विजय राणा)