Batla House Encounter: साल 2008 में 13 सितंबर को दिल्ली में सिलसिलेवार बम बिस्फोट हुए थे. दिल्ली में एक के बाद एक कुल 4 धमाके हुए थे. इस मामले में आरिज खान को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाया था, जिसे अब दिल्ली HC ने बदल दिया है.
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Delhi Batla House Encounter: साल 2008 में हुए बाटला हाउस मुठभेड़ के दोषी आरिज खान की मौत की सजा को दिल्ली हाईकोर्ट ने उम्रकैद में बदल दिया है. आरिज खान पर पुलिस इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या का आरोप है. इसके साथ ही वो साल 2008 दिल्ली में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोटों में भी नामजद है.
दिल्ली धमाकों में नामजद
साल 2008 में 13 सितंबर को दिल्ली में सिलसिलेवार बम बिस्फोट हुए थे. दिल्ली में एक के बाद एक कुल 4 धमाके हुए थे. इन धमाकों से पहले इंडियन मुजाहिदीन ने दिल्ली पुलिस को ईमेल की थी जिसमें लिखा था, "दिल्ली में धमाके होने वाले हैं. रोक सको तो रोक लो."
इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की हत्या का आरोप
इन धमाकों के बाद एक्शन में आई दिल्ली पुलिस ने आरोपियों पर शिकंजा कसना शुरू किया. धमाकों से ठीक 6 दिन बाद दिल्ली पुलिस की टीम दिल्ली के बाटला हाउस के मकान L-18 में पहुंची. पुलिस के पहुंचने के बाद वहां मुठभेड़ शुरू हो गया, जिसमें दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा की मौत हो गई. उनकी हत्या का आरोप आरिज खान पर लगा.
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साकेत कोर्ट ने सुनाया था सजा-ए-मौत
बाटला हाउस मुठभेड़ के दौरान आरोपी आरिज खान वहां से भागने में कामयाब हो गया. हालांकि इस दौरान उसके बाकि के साथी मारे गए. कुछ दिनों बाद आरिज को भारत-नेपाल की सीमा से गिरफ्तार कर लिया गया. साल 2021 के मार्च महीने में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की अपील पर जिसमें पुलिस की ओर से कहा गया था कि ये केवल हत्या का मामला नहीं है. बल्कि न्याय की रक्षा करने वाले कानून प्रवर्तन अधिकारी की हत्या का मामला है पर आरिज को सजा-ए-मौत सुनाया गया था. साथ ही उसपर 11 लाख का जुर्माना लगा था, जिसमें से 10 लाख मोहन चंद शर्मा के परिवार को दिया जाना था.
दिल्ली HC ने निचली अदालत के फैसले को बदला
निचली अदालत की फैसले को आरिज ने हाईकोर्ट में चैलेंज किया गया था, जिसके बाद इस मामले में आज सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने आरिज को आरोपी करार देते हुए उसकी मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया. आरिज के वकील ने अदालत को ये तर्क दिया था कि ऐसा कुछ भी नहीं है कि उनके मुवक्किल आरिज को सुधारा नहीं जा सकता है, जिसके बाद उन्हे उम्र कैद की सजा सुनाई गई.