नई दिल्लीः भगत सिंह का जन्म लायलपुर स्थित बंगा गांव में हुआ था, जोकि अब पाकिस्तान में है. भगत सिंह की जयंती दो दिन 27 और 28 सिंतबर को मनाई जाती है. भगत सिंह एक महान कांतिकारी थे. उनका भारत को आजादी दिलाने में बहुत ही अहम योगदान रहा है. इन्होंने अंग्रेजों का डटकर सामना किया. उनकी इस हिम्मत को देखकर ब्रिटिश साम्राज्य बुरी तरह हिल गया था. 


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ऐसा कहना गलत नहीं होगा की भगत सिंह को देशभक्ति विरासत में मिली थी. क्योंकि उनके दादा अर्जुन सिंह, उनके पिता किशन सिंह और चाचा अजीत सिंह गदर पार्टी के अभिन्न हिस्सा थे. 13 अप्रैल 1919 को जब जलियावाला बाग में नरसंहार हुआ तो भगत सिंह इसे देखकर काफी व्यथित हो गए थे. इसी घटना को देखकर भगत सिंह ने अपना कॉलेज बीच में ही छोड़ दिया और आजादी की लड़ाई में कूद पड़े.


मात्र 23 साल की उम्र में फांसी
भगत सिंह का आजादी की जंग में कूदते ही अंग्रेजों में अफरा-तफरी मच गई थी. अंग्रेज उन्हें देखकर हैरान रह गए थे. उन्होंने अंग्रेजों को सबक सिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. 23 मार्च 1931 को भगत सिंह ने अपने क्रांतिकारी साथी राजगुरू और सुखदेव के साथ मिलकर असेंबली में बम फेंका था. जिसके बदले अंग्रेजों ने राजगुरु और सुखदेव समेत भगत सिंह को फांसी दे दी थी. भगत सिंह उस वक्त महज 23 साल के थे.


किसी मजिस्ट्रेट की हिम्मत नहीं हुई
वो समय आजादी की लड़ाई का था. भगत सिंह उस समय काफी चर्चित हो चुके थे उन्हें हर कोई जानने लगा था. जब बात उनको फांसी देने की आई तो भगत सिंह को फांसी देने की कोई हिम्मत तक नहीं कर पा रहा था. भगत सिंह काफी लोकप्रिय हो चुके थे. मजिस्ट्रेट तक हिम्मत नहीं जुटा पाए थे कि उन्हें फांसी स्थल पर कैसे ले जाया जाए. इसके बाद अंग्रेजों ने एक मानक न्यायाधीश को बुलाया. न्यायाधीश के आने के बाद ही उनकी कस्टडी में भगत सिंह को फांसी दी गई.    


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'मेरी दुल्हन सिर्फ मेरी मौत'
तब के समय भारत में लगभग 13 से 14 साल की उम्र के बीच शादी हो जाती थी. भगत सिंह की मां भी चाहती थीं कि उनके बेटे की भी शादी हो. लेकिन उनकी मां की यह इच्छा पूरी न हो सकी. उन्होंने भगत सिंह से शादी की बात भी की थी. जिससे नाराज हो भगत कानपुर चले गए. जाते समय अपने माता-पिता से कहा  कि 'इस गुलाम भारत में मेरी दुल्हन बनने का हक सिर्फ मेरी मौत को है'. इसके बाद भगत सिंह हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिक एसोसिएशन में शामिल हो गए. 


चंडीगढ़ में बना इंटरनेशनल एयरपोर्ट अब होगा शहीद भगत सिंह के नाम
आज देश की सरकारें शहीद भगत सिंह को सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं. पीएम मोदी ने भी हाल में मन की बात कार्यक्रम में एक बड़ा ऐलान किया. इसमें उन्होंने कहा कि भारत के लाल भगत सिंह की जयंती आने वाली है. इस अवसर पर चंडीगढ़ एयरपोर्ट का नाम भगत सिंह के नाम पर होगा. पंजाब और हरियाणा सरकार भी चंडीगढ़ हवाई अड्डे का नाम बदलकर शहीद-ए-आजम भगत सिंह के नाम करने का पहले ही निर्णय ले चुकी है. पंजाब और हरियाणा की दोनों सरकारें इस बात पर सहमत हो गई हैं. आने वाले दिनों में पंजाब और हरियाणा की राजधानी चंडीगढ़ में बना इंटरनेशनल एयरपोर्ट अब शहीद-ए-आजम भगत सिंह के नाम से जाना जाएगा.