नवीन शर्मा/ भिवानी: रियाणा के भिवानी में ई-टेंडरिंग और राइट-टू रिकॉल के विरोध में सरपंचों का सरकार के खिलाफ आंदोलन अब उग्र होने लगा है. है. हरियाणा के सरपंच सरकार के खिलाफ लगभग हर जिले में प्रदर्शन कर इसे वापस लेने की मांग कर रहे है. सपंचों का साफ कहना है कि हमें पहले की तरह पूरा अधिकार दिया जाए. वहीं सरकार ई टेंडरिंग को सही बता रही है. सरकार कह रही है कि इससे भ्रष्टाचार खत्म होगा. वहीं कौन सही है, कौन गलत है. इस पूरे मामले को हम ग्राउंड जीरो से जानने के लिए ग्रामीण अंचल से ग्रामीणों की राय जानी है.


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कुछ ने ई टेंडरिंग को बताया सही तो कुछ ने गलत
भिवानी में कुछ ग्रामीणों ने ई टेंडरिंग को सही बताया तो कुछ लोगों ने सरपंच के अधिकार छीनने की बात कही. लोगों ने बताया कि यह सरकार का गलत फैसला है. इससे सरपंच के अधिकार छीन जाएंगे. तो वहीं कुछ लोगों ने ई टेंडरिंग की प्रणाली को सही बताया और कहा कि सरपंच गांव में सही काम नहीं करता है. ई -टेंडर के जरिये काम ठेकेदार से हम सही करवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि सरपंच पर हम दबाव नहीं बना पाते और ठेकेदार पर हम दबाव बनाकर गांव के काम सही करवा सकते हैं.


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क्या है ई-टेंडरिंग? 
पंचायतों में होने वाले कामों में भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के लिए हरियाणा सरकार ने ई-टेंडरिंग शुरू किया है. जिसमें दो लाख से ज्यादा का काम करवाने के लिए ई-टेंडर जारी किया जाएगा.  ई-टेंडर में अधिकारियों की देखरेख में ठेकेदारों से काम करवाया जा सकेगा. साथ ही सरपंचों को गांवों के कार्यों के बारे में सरकार को ब्योरा देना होगा. 


क्या है राइट टू रिकॉल? 
राइट टू रिकॉल में हरियाणा के ग्रामीणों का अधिकार है जिसके तहत अगर सरपंच गांव में विकास कार्य नहीं करवाएगा तो उसे बीच कार्यकाल में हटाया जा सकेगा. सरपंच को हटाने के लिए लिखित शिकायत गांव के ही 33 प्रतिशत मतदाता संबंधित अधिकारी को देनी पड़ेगी. जिसके बाद सरपंच को हटाया जा सकेगा.


फिल्हाल सरकार और सरपंचों के रवैया से कहीं ना कहीं गांव के विकास कार्य में जरूर बाधा आ रही है. इस मामले को लेकर अब देखना यह होगा कि आने वाले समय में सरकार सरपंच को समझाकर गांव में विकास कार्य करवाती है. या फिर सरपंच का धरना यूं ही जारी रहेगा.