Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य विद्वान होने के साथ ही महान शिक्षक भी थे, उनके द्वारा बताई गई नीतियों को अपनाकर जीवन में सफलता पाई जा सकती है. आचार्य चाणक्य ने विश्वप्रसिद्ध तक्षशिला विश्वविद्यालय में शिक्षा ग्रहण की थी. चाणक्य नीति में पैसा, सेहत, बिजनेस, दांपत्य जीवन, समाज और जीवन में सफलता, सुख और दुख से जुड़ी चीजों के बारे में जानकारी दी गई है. अगर कोई भी व्यक्ति इन बातों को अपने जीवन में अपना ले, तो वह सफतला के नए मुकाम हासिल कर सकता है.


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आचार्य चाणक्य ने सुख और दुख को जीवन का हिस्सा बताया है. सुख के बाद दुख और दुख के बाद सुख जरूर आता है. लेकिन 3 ऐसे दुख हैं जो किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत ज्यादा बड़े होते हैं. ये दुख जिस व्यक्ति के जीवन में पड़ जाते हैं उसे अंदर ही अंदर खोखला बना देते हैं. साथ ही उस व्यक्ति के घर की खुशियों को खत्म कर देते हैं. 


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आचार्य चाणक्य के अनुसार जीवन के 3 सबसे बड़े दुख


1. शक करने वाला जीवनसाथी
जीवन में पति-पत्नी का रिश्ता सबसे ज्यादा मजबूत माना जाता है, ये एक गाड़ी के दो पहियों की तरह होते हैं. लेकिन अगर पति या पत्नी में से कोई भी व्यक्ति शक करने वाला हो तो दूसरे का जीवन नर्क बन जाता है. उस घर में हर समय कलह होती रहती है, कभी भी खुशियों का माहौल नहीं रहता. साथ ही कई बार ऐसे रिश्ते लंबा नहीं चल पाते और जल्दी ही टूट जाते हैं. 


2. निकम्मी संतान
माता-पिता अपना सारा जीवन अपनी संतान को सफल बनाने में लगा देते हैं, लेकिन अगर वो संतान निकम्मी निकल जाए तो माता-पिता के लिए उससे बड़ा दुख कोई औऱ नहीं होता है. निकम्मी संतान कभी भी अपने माता-पिता का सहारा नहीं बनती, बल्कि जीवनभर उनके ऊपर बोझ बनकर रहती है, ऐसी संतान घर की खुशियों को खत्म कर देती है.


3. विधवा बेटी
माता-पिता बड़े अरमानों के साथ अपनी बेटी के लिए एक अच्छा घर और वर खोजकर उसकी शादी करते हैं. लेकिन अगर बेटी विधवा हो जाए तो माता-पिता के लिए जीवन में उससे बड़ा दुख कोई और नहीं होता है. घर में विधवा बेटी के होने से घर की खुशियां खत्म हो जाती हैं और हर समय मातम का माहौल रहता है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE MEDIA इसकी पुष्टि नहीं करता है.)