Chanakya Niti: इंसान की जिंदगी में धन के अलावा भी कुछ चीजें काफी खास होती हैं, जैसे की  मान-सम्मान और रिश्तों की अहमीयत. इसलिए मनुष्य को ऐसी चीजों और लोगों से दूर रहना चाहिए जिससे उनके व्यक्तित्व पर बुरा प्रभाव पड़े. इसको लेकर चाणक्य भी कहते हैं कि इंसान की आदते ही उसको सफलता या नाकामयाबी देती है. जिस तरह अच्छी आदत, शिक्षा और संगति से मनुष्य बुलंदियों को छूता है, मान-सम्मान पाता है, उसी तरह से बुरी लत मनुष्य को बर्बाद कर देती है. चाणक्य ने अपने एक श्लोक में उस आदत का जिक्र किया है, जिसके हावी होने पर मनुष्य खुद के साथ अपने पूरे परिवार की छवि को दांव पर लगा देता है. 


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श्लोक- सत्यपूतं वदेद्वाचं मनः पूतं समाचरेत्
- इस श्लोक के जरिये चाणक्य कहते हैं कि इंसान का एक अवगुण सौ अच्छे गुणों पर भारी पड़ सकता है. चाणक्य का कहना है कि जब व्यक्ति एक झूठ बोलता है तो उसे छुपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं. ऐसे करते-करते झूठ बोलने की लत लग जाती है. 
- अगर किसी को झूठ बोलने की लत लग जाए तो व्यक्ति घर, मित्र, यहां तक की ऑफिस, हर जगह-हर बात पर झूठ बोलने लगता है. जिस दिन सच्चाई सामने आती है तो उस व्यक्ति के साथ परिवार को भी शर्मिंदा होना पड़ता है. 
- झूठ और बेईमानी का रास्त आसान तो होता है, लेकिन यह ज्याद समय तक टिक नहीं सकता है. झूठ बोलने से कुछ समय के लिए खुशी मिलती है, लेकिन जब सच सामने आने पछताना पड़ता है. ऐसे व्यक्ति से फिर हर कोई दूरी बना लेता है. ऐसे लोगों के व्सक्तित्व पर बुरा असर पड़ता है. फिर कुछ भी करलो कोई इनकी किसी भी बात का भरोसा नहीं करता. 


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-आचार्य चाणक्य का कहना है कि सत्य उस अमोल चीज की तरह होती है, जिसे पहले खर्च करो और फिर बाद में उसका जीवन के समान होता है, जिसे पहले खर्च करो और बाद में उसका जीवन भर आनंद प्राप्त करो. झूठ उस कर्ज की तरह है, जिसका सुख तो मिलता है, लेकिन उसका कर्ज जिंदगी भर चुकाना पड़ता है.
-चाणक्य कहते हैं कि व्यक्ति के झूठ बोलने से आदत मन में डर या लालच की भावना पैदा होने लगती है. व्यक्ति अपनी सहूलियत के हिसाब से सच को किसी दूसरे के सामने सच को रखता है और ऐसे में सच कहीं दब जाता है. 


अगर हंसी-खुशी भरी जिंदगी जीना हैं, तो सच की राह पर चलना चाहिए. इससे जिंदगी में सकून की प्राप्ती है और साथ ही मान-सम्मान और मन को शांति मिलती है.